पश्चिमी देश पाकिस्तान और यूक्रेन के बीच कोई समझौता कराने की फिराक में

Last Updated 23 Jul 2023 01:40:52 PM IST

आर्थिक बदहाली से जूझ रहा पाकिस्तान (Pakistan) अब यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) में कूदने की कोशिश कर रहा है। यूक्रेन (Ukraine) के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा (Dmytro Kuleba) ने एकाएक पाकिस्तान की यात्रा की तथा वहां के नेताओं से मंत्रणा की।


वैश्विकी : यूक्रेन-पाकिस्तान की सांठगांठ

कूटनीतिक और सैन्य हलकों में कयास लगाया जा रहा है कि यूक्रेन पाकिस्तान से हथियारों की आपूर्ति चाहता है। इसके पहले भी इस तरह की खबरें आई थीं कि पाकिस्तान एक ओर रूस से सस्ते कच्चे माल का आयात कर रहा है वहीं दूसरी ओर यूक्रेन को हथियार मुहैया करा रहा है। कुलेबा के साथ बातचीत के बाद विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने यह सफाई दी कि उनका देश यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति नहीं करेगा। लेकिन इस सार्वजनिक बयान के बावजूद पाकिस्तान गोपनीय रूप से यदि यूक्रेन को हथियार भेजता है तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। पाकिस्तान के पास अमेरिका और चीन से हासिल किए गए हथियारों का जखीरा है।

यूक्रेन हाल के दिनों में हथियारों की कमी का शिकार है। अमेरिका और नाटो देशों की ओर से लगातार हथियारों की आपूर्ति के बावजूद यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर रूस का मुकाबला नहीं कर पा रहा है। रिपोर्टों के अनुसार पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियां पाकिस्तान और यूक्रेन के बीच कोई समझौता कराने की फिराक में है। पिछले दिनों अमेरिका और पश्चिमी देशों ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्ज दिलाने में मदद की है। पाकिस्तानी सेना अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रभाव में रही है। यह संभव है कि राजनीतिक नेतृत्व की राय से हटकर पाकिस्तानी सेना यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने का प्रयास करे। यदि ऐसा होता है तो रूस की ओर से सख्त प्रतिक्रिया होगी।

यूक्रेन युद्ध एक खतरनाक दौर की ओर बढ़ रहा है। रूस ने काला सागर से होकर खाद्यान्न की आपूर्ति संबंधी समझौते से हटने का ऐलान किया है। इस समझौते के जरिये काला सागर से होकर यूक्रेन और रूस के खाद्यान्न की आवाजाही होती थी। समझौते के रद्द होने के बाद दुनिया विशेषकर अफ्रीकी देशों में खाद्यान्न का संकट पैदा हो सकता है। रूस का तर्क यह है कि इस समझौते के जरिये यूक्रेन का खाद्यान्न गरीब देशों की बजाय यूरोपीय देशों को भेजा जा रहा है।

रूस का कहना है कि गरीब देशों को केवल 03 फीसद, यूरोपीय देशों को 41 फीसद और शेष मध्यम आय वर्ग वाले देशों को भेजा गया है। रूस का यह भी आरोप है कि जहां वह एक ओर यूक्रेन के लिए सुरक्षित समुद्री गलियारा उपलब्ध करा रहा है वहीं दूसरी ओर अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण उसका खाद्यान्न निर्यात बाधित हो रहा है।

समझौते की ओर दोबारा लौटने के लिए रूस ने शर्त रखी है कि इसके खाद्यान्न निर्यात पर लगाई गई रोक हटाई जाए। कुछ महीने पूर्व जब खाद्यान्न समझौते का नवीनीकरण का मुद्दा सामने आया था तब भारत ने मध्यस्थता की थी। तुर्की ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से अनुरोध किया था कि वह रूस को राजी करे।

जयशंकर ने इस संबंध में रूस के विदेश मंत्री सग्रेई लावरोव से बातचीत की थी, उसके बाद रूस समझौते को आगे बढ़ाने पर सहमत हो गया था। लेकिन इस बार ऐसा होगा इसमें संदेह है। खाद्यान्न  सुरक्षा के नाजुक हालात को देखते हुए भारत ने चावल निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है।

काला सागर संघर्ष का एक नया क्षेत्र बन रहा है। रूस ने चेतावनी दी है कि यहां से गुजरने वाले किसी भी जलयान को शत्रु का जलयान माना जाएगा। रूसी सेना ने संदिग्ध जलयानों पर धावा बोलने का अभ्यास शुरू किया है। हालांकि अमेरिका ने घोषणा की है कि वह यूक्रेन के जलयानों को अपने युद्धपोतों के जरिये सुरक्षा मुहैया नहीं कराएगा। इसे रूस और नाटो देशों के बीच सीधे संघर्ष की आशंका फिलहाल टल गई है। लेकिन यह स्थिति कब तक जारी रहेगी कहना मुश्किल है।

युद्ध के मोर्चे पर यूक्रेन जवाबी हमले में नाकाम साबित हो रहा है। पिछले कुछ दिनों के दौरान उसने रूस की मुख्य भूमि और क्रीमिया को जोड़ने वाले सबसे बड़े पुल कर्च ब्रिज को निशाना बनाया है। साथ ही उसने क्रीमिया पर भी ड्रोन हमले किए हैं। राष्ट्रपति पुतिन इसे गंभीर मामला मानते हैं। आशंका है कि रूस की ओर से यूक्रेन के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व को निशाना बनाया जा सकता है।

डॉ. दिलीप चौबे


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