दिल्ली मेट्रो की चोरी-चकारी से रुक रही रफ्तार
दिल्ली की ‘लाइफ लाइन’ कही जाने वाली मेट्रो ट्रेन (Metro Train) अगर 10 मिनट रुक जाती है, तो लोग परेशान हो उठते हैं। मानो, उनकी सांसें अटक जाती हों। जल्द पहुंचने की व्याकुलता से वे भर उठते हैं।
दिल्ली मेट्रो की चोरी-चकारी से रुक रही रफ्तार |
कई बार हुआ है जब बाधित मेट्रो की वजह से यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा है। हालांकि इसकी वजह कई हैं। मगर हाल के दिनों में केबल की तार चोरी होने के कारण मेट्रो बाधित होने के सबसे अधिक मामले देखे गए हैं, जो चिंताजनक हैं।
हाल में वैशाली-कौशांबी मेट्रो स्टेशन के बीच पटरी से 70 मीटर की सिग्नल केबल चोरी हो गई, जिसके कारण मेट्रो बाधित हुई। कंट्रोल रूम से सिग्नल नहीं मिलने पर मेट्रो की टीम ने जांच की तो पता चला कि चोरों ने मध्य रात्रि में पटरी के नीचे लगे सिग्नल केबल को जगह-जगह से काटकर चुरा लिया। गनीमत रही कि रात में मेट्रो संचालन बंद रहता है वरना बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता था।
सवाल मेट्रो की सुरक्षा से खिलवाड़ का है। रह-रह कर कई बार केबल के तार चोरी हो जाते हैं। कड़ी सुरक्षा में भी चोर किस तरह से यहां सेंधमारी कर लेते हैं, इसकी रोकथाम के लिए गहन चिंतन की आवश्यकता है। कहा जा रहा है कि मेट्रो स्टेशन के पास पेड़ों, टूटी दीवारों या रस्सियों के सहारे चोर पिलर के माध्यम से पटरी तक पहुंच जाते हैं, और अक्सर ट्रेन सर्विस बंद होने के बाद रात को तार काटने वाले गिरोह सक्रिय हो जाते हैं।
हालांकि वैशाली-कौशांबी की केबल चोरी की घटना के बाद सुरक्षाकर्मिंयों ने चौकसी बढ़ा दी है। वहां चारों तरफ कांटेदार तार लगा दिए गए हैं। सुरक्षा के लिए दो गार्ड भी तैनात कर दिए गए हैं। लेकिन क्या, इतना भर कर देने से इस तरह की चोरियां रु क जाएंगी? मेट्रो की पटरियों में सिग्नल व्यवस्था के लिए प्रयोग की जाने वाली केबल के तारों की चोरी रोकना दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। इसके लिए वह कई जतन कर रही है, जिनमें कॉपर वाले एस बॉन्ड को स्टील वायर से रिप्लेस कर रही है। हालांकि, मेट्रो में केबल की चोरी की समस्या दिल्ली ही नहीं, बल्कि न्यूयॉर्क, लंदन और ऑस्ट्रेलिया में चलने वाली मेट्रो की भी है। वहां भी तार की चोरी की समस्या से मेट्रो प्रशासन हलकान रहता है।
कितनी घटिया बात है कि चंद पैसों के लिए चोर मेट्रो के यात्रियों का सफर खराब करते हैं। उनका समय बर्बाद करते हैं। न जाने लोग किन जरूरतों से किसी गंतव्य के लिए निकलते हैं। कौन सा आकस्मिक कार्य है। लेकिन चोरों की करतूतों के कारण मेट्रो में सफर करने वाले लाखों लोग मिनटों में परेशान हो जाते हैं। कई बार हो चुका है जब केबल चोरी की वजह से घंटों यहां तक कि दिन भर सेवाएं प्रभावित रही हैं। ऐसे में मेट्रो को कई दफा मैन्युअल मोड पर चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऐसी घटनाएं मेट्रो की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाती हैं। दिल्ली मेट्रो की ब्ल्यू लाइन द्वारका-वैशाली-नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी सेक्शन पर केबल चोरी होने के कारण कुछ दिन पहले दिन भर सेवाएं बाधित रहीं। इससे पहले यमुना बैंक और इंद्रप्रस्थ मेट्रो के बीच जुलाई, 2022 में केबल चोरी की घटना हुई थी जिसके कारण मेट्रो में कई बार खराबी आ चुकी है, और लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
फरवरी में आईजीआई एयरपोर्ट के पास मेट्रो के निर्माण कार्य के लिए मंगाया गया सरिया चोरी हो गया। आईजीआई एयरपोर्ट पर निर्माण कार्य के लिए रखे गए लोहे के सामान की चोरी का मामला सुलझा भी नहीं था कि ताजा मामला विकासपुरी का आ गया। वहां मेट्रो के निर्माण कार्य के लिए मंगाया गया 200 किलो सरिया चोरी का मामला सामने आ गया। यह ट्रक से ही गायब हो गया था। एयरपोर्ट पर 100-200 किलो नहीं, बल्कि 35000 किलो वजन के लोहे के सामान पर चोरों ने हाथ साफ कर दिया। चोरी एक-दो महीने के लंबे समय से की जा रही थी। दिसम्बर, 2021 में नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी और नोएडा सेक्टर 62 मेट्रो स्टेशन की केबल काट ली गई थी। नेटवर्क में तत्काल दिक्कत आ गई और मेट्रो बाधित हो गई। सारे यात्री परेशान हो उठे थे।
आखिर, मेट्रो किस तरह से अपनी सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करे? यह बड़ा सवाल है! एक तरफ चाकू, कंघी, खैनी, बीड़ी, शराब, माचिस आदि वस्तुओं की एंट्री के दौरान सख्ती से जांच की जाती है, तो दूसरी तरफ इतनी ढिलाई क्यों? ऐसे में किसी दिन कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है। अपराधी कोई बड़ी साजिश रच सकते हैं। इसलिए मेट्रो प्रशासन को और चाक-चौबंद होने की जरूरत है। ऐसी घटनाओं की आंतरिक जांच होनी चाहिए। सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर आरोपियों को पकड़ा जाना चाहिए। जहां-जहां तकनीकी खामियां हैं, उन्हें दुरु स्त किया जाना चाहिए। मेट्रो पिलर में कांटेदार तार लगाना, सीसीटीवी कैमरों को बढ़ाना या फिर रात में मेट्रो गश्त बहाल किया जाना इसके उपाय हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए मेट्रो को अपने आंख-कान खुले रखते हुए खुद से ही संकल्प लेना पड़ेगा।
| Tweet |