संसद को 'फ्रीबीज' पर विचार करने की आवश्यकता : उपराष्ट्रपति

Last Updated 19 Mar 2025 03:45:53 PM IST

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का कहना है कि प्रलोभन तंत्रों पर, तुष्टिकरण पर, जिसे अक्सर 'फ्रीबीज' के रूप में जाना जाता है, सदन को विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि देश तभी प्रगति करता है जब पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) उपलब्ध हो।


उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़

राज्यसभा में बुधवार को उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया ऐसी हो गई है कि ये "चुनावी प्रलोभन" बन गए हैं। इसके बाद सत्ता में आई सरकारों को इतनी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा कि वे अपनी सोच पर पुनर्विचार करना चाहती थीं। एक राष्ट्रीय नीति की अत्यंत आवश्यकता है ताकि सरकार के सभी निवेश किसी भी रूप में बड़े हित में उपयोग किए जाएं।

इससे पहले राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने सांसद निधि को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये प्रति वर्ष किए जाने की मांग सदन में रखी थी। उन्होंने यह भी कहा कि सांसद निधि को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए। उनका कहना था कि यदि यह संभव नहीं है तो फिर सांसद निधि के प्रावधान को ही खत्म कर दिया जाना चाहिए।

सपा सदस्य का कहना था कि मौजूदा सांसद निधि नाकाफी है, जिसके कारण जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में काम नहीं करवा पाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विभिन्न विधायकों को कुल मिलाकर सांसद से कहीं ज्यादा निधि मिलती है।

इस वक्तव्य के बाद सभापति ने 'फ्रीबीज' के मुद्दे पर सदन को विचार करने की आवश्यकता की बात कही।

सभापति ने कहा, “हमारे संविधान में विधायिका, सांसदों, विधायकों के लिए प्रावधान किया गया था, लेकिन एक समान तंत्र नहीं था। इसलिए, आप देखेंगे कि कई राज्यों में विधानसभाएं सदस्यों को सांसदों की तुलना में अधिक भत्ते और वेतन देती हैं, और यहां तक कि पूर्व विधायकों की पेंशन में भी एक से 10 तक का अंतर है। यदि एक राज्य में किसी को एक रुपया मिलता है, तो दूसरे राज्य में पेंशन 10 गुना हो सकती है। ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें कानून के माध्यम से हल किया जा सकता है और इससे राजनेताओं, सरकार, कार्यपालिका को लाभ होगा और यह उच्च गुणवत्ता वाले निवेश को भी सुनिश्चित करेगा।”

उन्होंने कहा, “यदि कृषि क्षेत्र जैसी आवश्यकताओं के लिए सब्सिडी की जरूरत है, तो इसे सीधे प्रदान किया जाना चाहिए, और यही विकसित देशों में प्रचलित है। मैंने अमेरिकी प्रणाली की जांच की। अमेरिका में हमारे देश की तुलना में 20 प्रतिशत कृषि परिवार हैं, लेकिन वहां कृषि परिवार की औसत आय अमेरिका के सामान्य परिवार की आय से अधिक है। इसका कारण यह है कि वहां किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी सीधी, पारदर्शी और बिना किसी बिचौलिए के दी जाती है।”

आईएएनएस
नई दिल्ली


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