विपक्षी बैठक : केवल भ्रष्टाचार की गारंटी
परिवार तंत्र और भ्रष्टाचार तंत्र का पताका लहराने वाले विपक्षी दलों में इतनी छटपटाहट कभी नहीं दिखी जो इस बार दिख रही है।
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सारे परिवारवादी और भ्रष्टाचार (Corruption) की छाया में पले-बढ़े दल सत्ता की भूख में और अपना अस्तित्व बचाने के लिए पटना (Patna) में 23 जून को इकट्ठे हुए थे और अब बेंगलुरु में जमे हैं। पटना की बैठक में शामिल दल तब ठगे से रह गए जब उन्हें पता चला कि यह बैठक तो फिर से एक बार राहुल गांधी की लॉन्चिंग की तैयारी (Preparation for the launch of Rahul Gandhi) थी। इसकी भनक लगते ही पटना में शामिल विपक्षी दलों में खलबली मचनी शुरू हो गई। महाराष्ट्र में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए तो ऐसा ही लगता है। वहां जो हुआ है उससे विपक्ष में खलबली है, घबराहट एवं बेचैनी स्पष्ट देखी जा सकती है। राजनीतिक दलों के भ्रष्टाचार को दबाने के लिये, सत्ताकांक्षा एवं आंतरिक असंतोष के चलते ऐसे समझौते, दलबदल एवं उल्टी गिनितयां अब आम बात हो गयी हैं।
पटना में जो-जो विपक्षी दल इकठ्ठा हुए, वे सब के सब एक ही गारंटी दे सकते हैं और वह है भ्रष्टाचार की गारंटी। ये कुल मिला कर लगभग 20 लाख करोड़ रुपये के घपले-घोटालों की गारंटी है। अकेले कांग्रेस का घोटाला ही लाखों-करोड़ों का है। सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भ्रष्टाचार के मामले में पहले से ही बेल पर चल रहे हैं। आरजेडी पर हजारों करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप पहले से है। चारा घोटाला, अलकतरा घोटाला, पशुपालन शेड घोटाला, बाढ़ राहत घोटाला, आरजेडी के घोटालों की लंबी सूची है। अब लैंड फॉर जॉब घोटाले में भी सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है।
डीएमके पर अवैध तरीके से 1.25 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति बनाने का आरोप है। अभी-अभी इनके एक मंत्री जेल पहुंचे हैं। टीएमसी पर भी 23 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले का आरोप हैं। रोज वैली घोटाला, शारदा घोटाला, शिक्षक भर्ती घोटला, गो-तस्करी घोटाला, कोयला तस्करी घोटाला, बंगाल के लोग इन घोटालों को कभी भूल नहीं सकते हैं। आम आदमी पार्टी के शराब घोटाले और शीशमहल से कौन परिचित नहीं हैं। इनके कई मंत्री जेल में हैं। केरल की कम्युनिस्ट सरकार के दामन पर भी भ्रष्टाचार के कई दाग हैं। इस कथित गठबंधन में इकट्ठा हुए लोग सिर्फ अपने ही परिवार के लिए जीते हैं, अपना ही भला करना चाहते हैं।
भ्रष्टाचार और घपलों-घोटालों में लिप्त पार्टियां गठबंधन के माध्यम से अपने-अपने परिवार को स्थापित करना चाह रही हैं। सोनिया गांधी, राहुल गांधी की एक बार फिर से लॉन्चिंग की तैयारी में हैं। लालू यादव जीते जी अपने बेटे तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को मुख्यमंत्री बनाना चाहती हैं। शरद पवार अपनी बेटी को सबसे आगे बढ़ाना चाहते हैं। उद्धव ठाकरे अपने बेटे के लिए जमीन तैयार करना चाहते हैं। स्टालिन अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं। अखिलेश यादव को अपने परिवार से आगे कुछ दिखता ही नहीं। इसलिए, इन सब के करीबी भी इनका साथ छोड़ कर दूर जा रहे हैं।
इन विपक्षी दलों की कोई विचारधारा नहीं है। जिन लोगों को कुछ लोग, पहले अपना दुश्मन बताते थे, अब उन लोगों के सामने नतमस्तक हो रहे हैं। यह उनकी मजबूरी बन गई है। ये कैसी विचारधारा है कि जिस कांग्रेस के खिलाफ जेपी आंदोलन से लालू यादव और नीतीश कुमार निकले थे, आज वही कांग्रेस के साथ गलबहियां कर रहे हैं। संपूर्ण क्रांति की मुनादी को भी लालू-नीतीश ने आज भुला दिया। जिस पार्टी ने देश पर आपातकाल थोपा था, पूरे विपक्ष को जेल में डाल दिया था, जनता के अधिकारों का हनन किया, प्रेस के अधिकारों पर डाका डाला, आज उसी पार्टी के साथ वे लोग हाथ मिला रहे हैं। जिस नीतीश कुमार की पूरी राजनीति, लालू यादव के भ्रष्टाचार के खिलाफ रही, लेकिन सत्ता के मोह में अब वे लालू यादव और उनके परिवार की भ्रष्टाचार के शरण में चले गए हैं। पश्चिम बंगाल में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने वाले टीएमसी, कांग्रेस और कम्युनिस्ट, एक साथ हो गए हैं। केरल में कांग्रेस और कम्युनिस्ट एक दूसरे के खिलाफ लड़ रही हैं लेकिन पश्चिम बंगाल में साथ हैं। जो बाला साहेब तमाम उम्र कांग्रेस और एनसीपी की राजनीति के खिलाफ लड़ते रहे, उनके सिद्धांतों को तिलांजलि देते हुए उद्धव ठाकरे, शरद पवार और राहुल गांधी के पिछलग्गू बन गए हैं। अखिलेश यादव कभी बुआ के साथ होते हैं तो कभी कांग्रेस के साथ चले जाते हैं। शरद पवार ने सोनिया गांधी के बारे में क्या-क्या नहीं बोला था लेकिन आज उन्हीं की कांग्रेस के साथ अपना भविष्य तलाश रहे हैं। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस, ममता बनर्जी के खिलाफ धरना दे रही हैं।
चाहे सारी विपक्षी पार्टियां एक हो जाए, भाजपा रुकने वाली नहीं है क्योंकि देश की जनता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के साथ चट्टान की तरह खड़ी है। जनता ने उन्हें लगातार तीसरी बार और भी ज्यादा सीटों के साथ प्रधानमंत्री बनाने का मन बना लिया है।
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