बंद पड़े कारखानों के बहुरते दिन
नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछले 8 सालों में कई बंद पड़े कारखाने को फिर से शुरू कराने का निर्णय लिया है, तो कई मृतप्राय कारखाने को बंद करने का भी निर्णय लिया गया है।
बंद पड़े कारखानों के बहुरते दिन |
दरअसल, कुप्रबंधन के चलते घाटे में चले जाते के कारण एक कालखंड में इन्हें बंद कर देना पड़ा था। अब सोचा गया है कि अपने पूर्व कार्यकाल में अच्छा प्रदर्शन करने वाली कंपनियों, जिन्हें राजनीतिक और अन्य कारणों घाटे से घिर जाने आदि के चलते बदं कर दिया गया था, को पुनर्जीवित कर रोजी-रोजगार की संभावनाएं बढ़ाई जाएं और लगातार घाटे में जा रही कंपनियों को बंद करके फिजूलखर्ची को रोका जाए। इसी क्रम में भारत की सबसे पुरानी न्यूज पेपर बनाने वाली कंपनी नेपा मिल्स लिमिटेड का दोबारा संचालन शुरू किया गया है।
अच्छी बात यह है कि मोदी सरकार ने वैसे मुश्किल समय में कुछ फैक्ट्रियां बंद कीं तो कुछेक सरकारी उपक्रम को शुरू करने के भी सकारात्मक कदम उठाए हैं। इससे रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी और आर्थिक आत्मनिर्भरता आएगी। आज की परिस्थिति में मोदी सरकार के इन प्रयासों की सर्वत्र सराहना हो रही है। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडे ने बीती 23 अगस्त को मध्य प्रदेश के नेपानगर स्थित नई तकनीकी से अपग्रेडेड इस प्लांट का दोबारा संचालन शुरू कराया।
केंद्र सरकार से मिले करीब 469 करोड़ रुपये के रिवाइवल पैकेज से इस मिल का नवीनीकरण किया गया है। अब यह पूरी तरह से डिजिटलाइज्ड है, और इसकी उत्पाद की गुणवत्ता सुधार आने के संकेत मिल रहे हैं। कंपनी ने 300 से ऊपर कर्मचारियों की नई भर्तियां की हैं, और आगे भी कई भर्तियां होने के आसार हैं। यह एक अच्छा संकेत है, जब कई इंडस्ट्री बंद हो रही हों, रोजगार कम हो रहे हों और वैसे संकट में मोदी सरकार की यह कोशिश निस्संदेह सराहनीय है। उदाहरण के तौर पर बिहार के बरौनी र्फटलिाइजर और झारखंड के सिंदरी र्फटलिाइजर को भी शुरू कराने के लिए केंद्र सरकार ने न केवल रिवाइवल पैकेज दिया है, बल्कि लोगों के रोजी-रोजगार की दिशा में भी यह एक अच्छी पहल की है।
बिहार में पुन: 8388 करोड़ रु पये की लागत से बरौनी स्थित यूरिया कारखाना बनकर तैयार है, और जल्द ही इसमें उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। इससे वहां के किसानों को लाभ मिलेगा तो सैकड़ों युवाओं को नौकरी भी मिल सकेगी। ठीक उसी प्रकार झारखंड के सिंदरी में देश के पहले उर्वरक कारखाने को दो दशक बाद फिर से शुरू किया जा रहा है। तकनीकी पुरानी पड़ जाने और लगातार नुकसान झेलने के कारण यह कारखाना 31 दिसम्बर, 2002 को बंद हो गया था। अब नये संयंत्र के साथ यहां भी जल्द संचालन प्रक्रिया शुरू होने वाली है।
कहते हैं कि हिंदुस्तान उर्वरक एंड रसायन लिमिटेड के इस नये संयंत्र की शुरुआत से लगभग ढाई हजार लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर नौकरी मिलेगी और करीब 10 हजार लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलने की संभावना है। इस कारखाने के पुनरु द्धार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्यक्तिगत तौर पर दिलचस्पी ली थी और इस दिशा में ठोस कदम उठाया। ठीक उसी प्रकार नेपा मिल्स लिमिटेड ने कंपनी के रिनोवेशन से लेकर अब तक 310 लोगों की भर्ती की है, और आगे भी इस तरह की भर्तियों का आश्वासन दिया गया है। गौरतलब है कि कागज निर्माण उद्योग में यह एक ब्रांड रहा है, जो नई तकनीकी के मशीनों के सहारे अब दोगुना और चार गुना उत्पादन का दावा कर रही है। अखबार की दुनिया के लिए नेपा को संजीवनी माना जा रहा है, तो वहां के लोगों के लिए यह एक खुशखबरी है। मध्य प्रदेश सरकार ने भी इसे पुन: चालू कराने में अहम भूमिका निभाई है।
इन तमाम फैक्टरियों या उपक्रमों के शुरू होने से निश्चित तौर से हजारों हाथों को काम मिलेगा और उन्हें नौकरी भी मिलेगी। उनके जीवन-यापन, सुख-दुख या तकलीफों का समाधान हो सकेगा। कहा जा रहा है कि मोदी सरकार ने हाल ही में बीएसएनएल को भी पुनर्जीवित करने का कदम उठाया है, और उसे रिवाइवल पैकेज भी दिया गया है। सरकार के ऐसे कदम से निस्संदेह रोजी-रोजगार की संभावना बढ़ेगी। हालांकि केंद्र सरकार ने पिछले दिनों सरकारी उपक्रम की कुछ बंद फैक्टरियों में विनिवेश के जरिए 1 लाख 20 हजार करोड़ रु पये जुटाने का लक्ष्य रखा है, तो वहीं 20 स्थापित कंपनियों की हिस्सेदारी बेचे जाने की योजना भी बनाई है।
इसके अलावा घाटे में चल रहीं छह कंपनियों को सरकार ने पूरी तरह बंद करने का फैसला भी लिया है। यह अत्यधिक घाटे में चल रही है। दलील है कि देशहित में लाभ कमाने वाली कंपनियों को पुनर्जीवित किया जाए और उनसे जुड़े रोजी-रोजगार की संभावनाओं को सृजित और प्रोत्साहित किया जाए। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिन क्षेत्रों में ये कंपनियां स्थापित हैं, उस क्षेत्र के आर्थिक विकास में महती भूमिका निभाएंगी।
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