मुखरता के लिए मशहूर जज

Last Updated 29 Aug 2022 11:59:17 AM IST

जब भी कभी किसी के बीच कोई विवाद उठता है, और वो लोग किसी नतीजे पर नहीं पहुंचते तो अदालत का रुख करते हैं।


मुखरता के लिए मशहूर जज

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जनता को न्यायालयों पर पूरा विश्वास है परंतु भारत के न्यायतंत्र में लंबित मामलों की संख्या लगभग पांच करोड़ के पार चली गई है। हाल ही में देश के कानून मंत्री ने संसद में कहा कि यदि कोई जज 50 मामलों का निपटारा करता है, तो 100 और नये मामले दर्ज हो जाते हैं। देश के न्यायालयों में जजों की संख्या कम है, और मामलों की काफी अधिक। ऐसे में न्याय मिलने की बजाय वादी को मिलती है तो सिर्फ एक नई तारीख।

कोविड महामारी ने दुनिया भर में ‘ऑनलाइन’ कार्य को काफी बढ़ावा दिया और इससे संसाधनों की काफी बचत भी हुई। शुक्रवार को रिटायर हुए देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमना ने अपना पद संभालने के कुछ ही हफ्तों में इस बात पर काफी जोर दिया था कि सर्वोच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई का सीधा प्रसारण किया जाना चाहिए। जस्टिस रमना के अनुसार ऐसा करना इसलिए उचित रहता क्योंकि अदालत में हुई सुनवाई जनता तक बिना किसी निहित स्वार्थ के सेंसर किए पहुंचती। उन्होंने मुकदमों की मीडिया रिपोर्टिग पर सवाल उठाते हुए कहा था कि कई बार संदर्भ से हटकर खबरें छाप दी जाती हैं। इसलिए यदि कोर्ट की सुनवाई का सीधा प्रसारण किया जाए तो वो जनता के हित में ही होगा।  

आज तकनीक का कमाल है कि हम घर बैठे आराम से शॉपिंग कर लेते हैं। कोविड महामारी के चलते जब कोर्ट में केवल ऑनलाइन सुनवाई हो रही थी तब कोर्ट की कार्यवाही नहीं रु की, बल्कि लोग अपने घरों से ही कोर्ट की सुनवाई में शामिल होते थे। ऐसे में अदालतों की सुनवाई यदि अधिक से अधिक ऑनलाइन तरीके से होती है, तो इसके कई फायदे होते हैं। यदि कोर्ट की सुनवाई का सीधा प्रसारण भी हो तो कोर्ट में फालतू की भीड़ भी नहीं लगेगी। अदालत की कार्यवाही को कवर करने वाले पत्रकारों को भी इसका लाभ पहुंचेगा। किसी भी उच्च न्यायालय या उस न्यायालय में, जहां एक से अधिक कोर्ट रूम होते हैं, पत्रकारों की दिक्कत तब बढ़ जाती है, जब एक से अधिक खास मामले दो अलग-अलग कोर्ट में चल रहे होते हैं। यदि सुनवाई का सीधा प्रसारण हो और वो सुनवाई के बाद भी देखा जा सके तो सुनवाई की खबर लिखने में आसानी हो जाती है।

इससे पहले रांची में एक भाषण के दौरान जस्टिस रमना ने कहा था, ‘न्याय से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा चलाना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।’ तब मुख्य न्यायधीश जस्टिस रमना की इस पहल को सभी ने सराहा था। उनके कार्यकाल के आखिरी दिन भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का सीधा प्रसारण देखने को मिला। इस सुनवाई को एक ‘सेरिमोनियल बेंच’ का नाम दिया गया। इस सुनवाई में शुरु आती दौर में जरूरी मामलों की अगली तारीख तय करने संबंधित कार्यवाही हुई। इसके पश्चात न्यायमूर्ति रमना को अधिवक्ताओं द्वारा विदाई देने की प्रक्रिया शुरू हुई। सीधे प्रसारण में वकीलों से खचाखच भरी हुई कोर्ट नम्बर एक का नजारा देखने लायक था। कोर्ट रूम के अलावा कई वरिष्ठ अधिवक्ता ऑनलाइन रूप से भी जुड़े हुए थे। एक-एक करके कभी कोर्ट रूम से तो कभी ऑनलाइन मोड से सभी जस्टिस रमना को उनकी शानदार पारी के लिए बधाई दे रहे थे।

विदाई देते हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि आपके रिटायरमेंट से हम एक बुद्धिजीवी और एक उत्कृष्ट न्यायाधीश खो रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि आपने अपने परिवार के अलावा वकीलों और जजों के परिवारों का भी खास ख्याल रखा। वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने जस्टिस रमना की कार्यशैली की तारीफ करते हुए उनके द्वारा लिए गए फैसलों और उनके 16 महीने की अवधि दौरान अदालत के कामकाज में किए गए बड़े सुधारों के लिए भी याद किया। उन्होंने अपने कार्यकाल में जजों की रिक्त पदों को भरने का काम किया। उनके कार्यकाल में जिला अदालतों और हाई कोर्ट्स में जजों की संख्या में भी इजाफा किया गया। उन्होंने ‘जज-टू-पॉपुलेशन रेश्यो’ की बात की और कहा कि इसी तरीके से केस लोड को कम किया जा सकता है। एन वी रमना के कार्यकाल में 15 हाई कोर्ट्स के चीफ जस्टिस भी नियुक्त हुए हैं।

अधिवक्ताओं द्वारा दिए गए विदाई संदेशों में कई महिला वकीलों ने भी जस्टिस रमना को उनके द्वारा महिला वकीलों के लिए उठाए गए महत्त्वपूर्ण कदमों के लिए याद किया और आभार व्यक्त किया। मुख्य न्यायधीश की अदालत में उस समय भावुक माहौल बन गया जब वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे जस्टिस रमना को जनता का जज बताते हुए अपनी बात कहते-कहते रो पड़े। वे बोले, ‘मैं आज अपनी भावनाओं को रोक नहीं रख सकता। आपने रीढ़ के साथ अपना कर्त्तव्य निभाया। आपने अधिकारों को बरकरार रखा, आपने संविधान को बरकरार रखा, आपने जांच और संतुलन की व्यवस्था बनाए रखी। मुझे बहुत संतोष है कि आपका आधिपत्य न्यायमूर्ति ललित के हाथों में अदालत छोड़ रहा है। हम आपको मिस करेंगे।’ मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने अपने कार्यकाल के दौरान 225 न्यायिक अफसरों और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति की सिफारिश भी की। जस्टिस रमना के कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट में 11 जजों की नियुक्ति की गई। इनमें महिला जज सुश्री बीवी नागरत्ना भी शामिल हैं। 2027 में वे देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश होंगी।

जस्टिस रमना को उनकी मुखरता के लिए भी जाना जाएगा। उनके एक बयान की काफी चर्चा हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘मैं नेता बनना चाहता था, लेकिन न्यायिक क्षेत्र में आ गया।’ अपने कार्यकाल में जस्टिस रमना के सामने कई अहम मामले आए जो सुर्खियों में रहे। इनमें राजद्रोह मामला, बिलकिस बानो गैंग रेप मामला, पेगासस मामला, ईडी के निदेशक की सेवा विस्तार का मामला और शिवसेना पर अधिकार मामला आदि थे। आने वाले समय में यह देखना होगा जिन अहम मामलों की सुनवाई पूरी किए बिना जस्टिस रमना सेवानिवृत्त हो गए, उन पर भविष्य के मुख्य न्यायधीशों का क्या रु ख  रहने वाला है।

विनीत नारायण


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