सरोकार : यूके में गर्भवती महिलाओं को भी कोविड वैक्सीन
जब कोविड-19 के चलते पूरी स्वास्थ्य संरचना भरभराई पड़ी हो, तब क्या आप एक अदना से तिनके का सहारा ढूंढ रहे होते हैं।
सरोकार : यूके में गर्भवती महिलाओं को भी कोविड वैक्सीन |
तिनका यानी वैक्सीन। हमारे यहां सहारा उम्र का मोहताज है, लेकिन यूके ने इसके लिए कुछ नये रास्ते निकाले हैं। हाल ही में खबर आई है कि वहां अब सभी गर्भवती महिलाओं को कोविड वैक्सीन मिलेगी। वहां की ज्वाइंट कमेटी ऑन वैक्सीनेशन एंड इम्यूनाइजेशन (जेसीवीआई) ने यह अपडेट दिया है। पहले कहा गया था कि जिन गर्भवती को ज्यादा खतरा था यानी फ्रंटलाइन वर्कर्स या जोकि किसी मेडिकल स्थिति से प्रभावित हैं, उन्हें ही वैक्सीन मिलेगी।
जेसीवीआई ने अमेरिका की एक रिपोर्ट के बाद यह निष्कर्ष दिया था। अमेरिका में करीब 90 हजार गर्भवती महिलाओं को सफलतापूर्वक वैक्सीन दी गई। इसके बाद जेसीवीआई ने कहा है कि इन महिलाओं को फाइजर या मॉडर्ना वाली वैक्सीन दी जाएगी। वैसे इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि वैक्सीन गर्भावस्था में नुकसानदेह हो सकती है। इस महीने यह आशंका जताई गई थी कि एस्ट्राजेनेका/ऑक्सफोर्ड वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग सिंड्रोम का खतरा हो सकता है। इसके बाद यह कहा गया था कि चूंकि ब्लड क्लॉट्स से गर्भावस्था पर असर हो सकता है, इसलिए महिलाओं को अपने हेल्थकेयर प्रोफेशनल से बात करके ही वैक्सीन लेनी चाहिए। इसके अलावा, सलाह दी गई है कि उन्हें गर्भावस्था के 12 हफ्ते बाद तक इंतजार करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं और वैक्सीन का मसला इसलिए उठता रहा है क्योंकि वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल्स में गर्भवती महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता। उन्हें किसी भी तरह का खतरा न पहुंचाने के लिहाज से। इसीलिए ज्यादातर देश संकोचवश यह इजाजत नहीं दे रहे हैं।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिर्वसटिी की बायोएथिस्ट और गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. रूथ फॉडेन के अनुसार, अगर महामारी का दौर नहीं भी हो तब भी जब कोई नई वैक्सीन आती है तो भी शुरुआती दौर के ट्रायल में गर्भवती महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता। गर्भवती महिलाओं को कॉम्पलेक्स आबादी माना जाता है क्योंकि उस वक्त में दो लोगों की जान का सवाल होता है, किसी और स्थिति में ऐसा नहीं होता है। कई विश्लेषक पुराने उदाहरणों का जिक्र करते हुए बताते हैं कि आंकड़ों के अभाव में कई बार वैक्सीन को मंजूरी मिलने में काफी देरी हुई है। जैसे इबोला के मामले में, कांगो की गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कई महीने तक वैक्सीन नहीं दी गई थी। इस कारण प्रभावित महिलाओं ने आरोप लगाए थे कि उन्हें वैक्सीन नहीं देकर मौत के मुंह में धकेला जा रहा था क्योंकि इबोला संक्रमण के बाद लोगों की मौत की आशंका ज्यादा थी। उस दौरान स्तनपान कराने वाली महिलाओं ने वैक्सीन लेने के लिए बच्चों को स्तनपान कराना तक बंद कर दिया था।
भारत में फिलहाल गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कोविड के टीके नहीं लग रहे। संभव है कि टीके से गर्भावस्था को खतरा हो, लेकिन स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर इस रोक का कारण अबूझ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अब तक इस बात के सबूत नहीं मिले हैं कि स्तनपान कराने वाली महिलाएं और उनके बच्चों में कोविड-19 संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। अब यूके की पहल से अपने देश में भी कुछ नये कदम उठाए जा सकते हैं। यूं दवा और ऑक्सीजन से जूझते इस देश से आप और अब और कितनी उम्मीदें लगा सकते हैं।
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