व्हाट्सएप : दोहरी नीति भारत के लिए खतरनाक
जब से फेसबुक ने व्हाट्सएप को खरीद लिया और उसकी पॉलिसी में बदलाव करना शुरू किया, तब से दुनिया भर के यूजर्स को ऐसा लगा कि कुछ नया होने वाला है।
व्हाट्सएप : दोहरी नीति भारत के लिए खतरनाक |
मगर तब उन्हें निराशा हाथ लगी, जब यह पता चला कि व्हाट्सएप की नई पॉलिसी से उपभोक्ताओं की निजता खत्म हो जाएगी। हालांकि व्हाट्सएप ने कई अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन देकर उपभोक्ताओं को विश्वास दिलाया कि यूजर्स की प्राइवेसी का सम्मान उसके डीएनए में है। इसलिए ऐसा सोचना बेबुनियाद है।
व्हाट्सएप की नई नीतियों में बदलाव की खबर से उपभोक्ता सकते में है। उन्हें डर है कि उनका पर्सनल डाटा असुरक्षित हो जाएगा। वहीं व्हाट्सएप ने एक नोटिफिकेशन अभियान चलाकर यह संदेश दिया है कि अगर आप नये अपडेट्स को 8 फरवरी 2021 तक स्वीकार नहीं करते तो आपका अकांउट डिलीट कर दिया जाएगा। आगे व्हाट्सएप क्या कदम उठाएगा, यह देखने वाला होगा। मगर भारतीय उपभोक्ताओं के अंदर निजता को लेकर खतरा बढ़ गया है। व्हाट्सएप की नीति को लेकर केंद्र सरकार ने उसके खिलाफ एक याचिका दायर की है, जिसमें यूरोपीय उपभोक्ताओं के लिए अलग और भारत के लिए अलग नियम और शत्रे बनाई गई हैं। असल में भारत में निजता को लेकर लचीले कानूनों के सहारे फेसबुक जैसी कंपनियां इस तरह के दोहरे मापदंड अपनाकर फायदा उठाती हैं। तभी यूरोपीय देशों और भारत के उपभोक्ताओं के लिए अलग-अलग नियम बना दिए जाते हैं।
ज्ञात हो कि यूरोप में जनरल डेटा प्रोटक्शन रेगुलेशन यानी ‘जीडीपीआर’ लोगों की गोपनीयता और डेटा की सुरक्षा प्रदान करने वाला एक बड़ा कानून है, जबकि भारत में पर्सनल डेटा प्रोटक्शन कानून अभी तक नहीं बना। भारत में भी डाटा संरक्षण बिल को जल्द-से-जल्द कानून में बदलाव लाने की आवश्यकता है ताकि उसमें निजता के उल्लंघन पर जुर्माना और उपभोक्ताओं को उचित मुआवजा देने का प्रावधान सुनिश्चित हो सके। अब व्हाट्सएप का इस्तेमाल आप सहजता से कर सकते हैं या नहीं? यह एक बड़ा सवाल है। कहीं आप अप्रत्यक्ष तौर पर इसके लिए जबरन सहमति तो नहीं दे रहे हैं। व्हाट्सएप की दलील है कि प्राइवेसी पॉलिसी से उसे अपने डेटा प्रैक्टिस को समझने में मदद मिलती है। इसके तहत वह बताता है कि कौन सी जानकारियां आप इकट्ठा करते हैं और इससे आप पर क्या असर पड़ता है? साइबर टेक्नोलॉजी के जानकारों की मानें तो व्हाट्सएप जो कर रहा है, वह कुछ नया नहीं है। व्हाट्सएप की पॉलिसी अपडेट की सहमति पर हमारी नजर इसलिए जा रही है क्योंकि ये किसी-न-किसी रूप में हमें अपनी नीतियों की जानकारी दे रहा है। हमसे सहमति मांग रहा है, जबकि दूसरे ऐप तो बिना हमारी मंजूरी के ही हमारा निजी डेटा निकाल लेते हैं। चर्चा है कि व्हाट्सएप अपने यूजर्स का इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस यानी ‘आईपीएड्रेस’ फेसबुक, इंस्टाग्राम या किसी अन्य र्थड पार्टी को दे सकता है। व्हाट्सएप अब आपकी डिवाइस से बैटरी लेवल, सिग्नल स्ट्रेंथ, ऐप वर्जन, ब्राउजर से जुड़ी जानकारियां, भाषा, टाइम जोन, फोन नंबर, मोबाइल और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनी जैसी जानकारियां भी इकट्ठा करेगा। जबकि पुरानी प्राइवेसी पॉलिसी में इनका जिक्र नहीं था। अगर आप अपने मोबाइल से सिर्फ व्हाट्सएप डिलीट करते हैं और माई अकाउंट सेक्शन में जाकर इन ऐप डिलीट का विकल्प नहीं चुनते हैं तो आपका पूरा डेटा व्हाट्सएप के पास ही रह जाएगा।
इसमें भी कोई दो राय नहीं कि भारत में साइबर सुरक्षा के मजबूत कानून नहीं हैं और न ही पर्सनल डेटा, प्रोटेक्शन और प्राइवेसी की मुकम्मल व्यवस्था है। भारत में एकमात्र कानून है जो पर्सनल डेटा प्रोडक्शन और साइबर सुरक्षा पर कुछ हद तक नजर रखता है। दुर्भाग्य से भारत का यह आईटी एक्ट सेक्शन-79 भी व्हाट्सऐप जैसे सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों के लिए काफी लचीला है। भारतीय आईटी एक्ट की धारा-1 और धारा-75 के अनुसार अगर कोई सर्विस प्रोवाइडर भारत के बाहर स्थित है, मगर उनकी सेवाएं भारत में कंप्यूटर या मोबाइल पर उपलब्ध है तो भी वह भारतीय कानूनों के अधीन हो जाएगा। मगर व्हाट्सऐप भारतीय कानूनों को धता बताकर अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी और शतरे को भारतीय ग्राहकों पर थोपना चाहती है। वॉट्सएप की दोहरी नीति से भारतीय उपभोक्ता चिंतित व परेशान हैं। इसी के मद्देनजर व्हाट्सएप के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें यूरोपीय लोगों के लिए अलग और भारतीय लोगों के लिए अलग नियमों का विरोध जताया गया है। सरकार को इसे लेकर जल्द अपनी सख्त और कारगर नीति बनानी चाहिए।
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