अर्थव्यवस्था : 2021 में बढ़ने का परिदृश्य

Last Updated 11 Jan 2021 05:13:26 AM IST

यकीनन नये वर्ष 2021 में देश की अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने का परिदृश्य दिखाई दे रहा है।


अर्थव्यवस्था : 2021 में बढ़ने का परिदृश्य

सरकार ने बीते हुए वर्ष में आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से कोविड 19 से निर्मिंत चुनौतियों का सफलतापूर्वक मुकाबला किया, उससे ढहती हुई अर्थव्यवस्था को बचाया जा सका है। हाल ही में 8 जनवरी को आईएचएस मार्किट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोविड 19 की चुनौतियों के बीच पिछले वर्ष 2020 के अंतिम छोर पर भारतीय अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। ऐसे में अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष 2021-22 में 8.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए दिखाई दे सकती है।
ज्ञातव्य है कि कोविड-19 के संकट से चरमराती देश की अर्थव्यवस्था के लिए आत्मनिर्भर अभियान के तहत वर्ष 2020 में जिस तरह मार्च से नवम्बर 2020 के बीच सरकार ने एक के बाद एक 29.87 लाख करोड़ की राहत के एलान किए हैं, उनसे वर्ष 2020 में अर्थव्यवस्था को फायदा हुआ है। इन राहतों के तहत आत्मनिर्भर भारत अभियान-एक के तहत 11,02,650 करोड़ रु पये, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत 1,92,800 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 82911 करोड़ रुपये  आत्मनिर्भर भारत अभियान-दो के तहत 73,000 करोड़ रुपये, आरबीआई के उपायों से राहत के तहत 12,71,200 करोड़ रुपये तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान-तीन के तहत 2.65 लाख करोड़ की राहत शामिल हैं। तीसरे आर्थिक पैकेज में दो तरह की राहतें शामिल हैं। एक, 10 उद्योग क्षेत्रों के लिए 1.46 लाख करोड़ रुपये की उत्पादन सम्बद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) स्कीम और दो, अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए रोजगार सृजन, ऋण गारंटी समर्थन स्वास्थ्य क्षेत्र के विकास, रियल एस्टेट कंपनियों को कर राहत, ढांचागत क्षेत्र में पूंजी निवेश की सरलता, किसानों के लिए उवर्रक सब्सिडी, ग्रामीण विकास तथा निर्यात सेक्टर को राहत देने के 1.19 लाख करोड़ रुपये के लिए लाभपूर्ण प्रावधान किए गए। निसंदेह सरकार के द्वारा वर्ष 2020 में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत दी गई इन विभिन्न राहतों से तेजी से गिरती हुई अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला। यदि हम दिसम्बर 2020 तक के विभिन्न औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र के आंकड़ों का मूल्यांकन करें तो पाते हैं कि लॉकडाउन की चुनौतियों के बाद दिसम्बर 2020 तक देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर, बिजली सेक्टर, रेलवे माल ढुलाई सेक्टर में सुधार तेज सुधार हुआ। इतना ही नहीं दैनिक उपयोग की उपभोक्ता वस्तुओं, सूचना प्रौद्योगिकी, वाहन कलपुर्जा, फार्मा सेक्टर इस्पात और सीमेंट आदि क्षेत्रों का प्रदर्शन आशा से भी बेहतर दिखा।

आईटी क्षेत्र की विभिन्न बड़ी कंपनियों की ओर से भी आशावादी अनुमान जारी हुए। सेवा कर (जीएसटी) संग्रह दिसम्बर 2020 में ऊंचाई पर दिखाई दिया। इसी तरह दिसम्बर 2020 में बीएसई सेसेंक्स और देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी ऊंचाई पर पहुंच गया। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि वर्ष 2020 में जीडीपी में गिरावट की खाई को पाटने में विनिर्माण क्षेत्र ने बड़ा सहारा दिया।  पहली तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 39.3 फीसद की गिरावट आई थी, जबकि दूसरी तिमाही में इसमें 0.6 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई। कृषि एवं सहायक गतिविधियों की विकास दर दूसरी तिमाही के दौरान आशाजनक रही। खासतौर से खरीफ उत्पादन से संबंधित सितम्बर 2020 में जारी हुए अनुमान के मुताबिक वर्ष 2020-21 में कृषि उत्पादन बढ़ते हुए दिखाई दिया। वर्ष 2020-21 में खाद्यान्न उत्पादन 14.45 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर छूने का अनुमान है, जोकि पिछले वर्ष 2019-20 के उत्पादन से 0.80 फीसद अधिक है। दलहन उत्पादन करीब 93.1 लाख टन अनुमानित है, जोकि 2019-20 की तुलना में करीब 21 फीसद अधिक है। इसी तरह तिलहन का उत्पादन 2.57 करोड़ टन अनुमानित है, जोकि 2019-20 की तुलना में 15.28 फीसद अधिक है।
निश्चित रूप से भारत ने वर्ष 2020 में कोविड-19 की आर्थिक चुनौतियों का सफल मुकाबला किया और इसके अनुकूल परिणाम भी दिखाई दे रहे हैं। हम उम्मीद करें कि नये वर्ष 2021 में सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित किए गए विभिन्न आर्थिक पैकेजों के क्रियान्वयन पर पूरा ध्यान देगी और आर्थिक विकास के लिए हरसंभव कदम उठाएगी। इससे एक ओर जहां नये वर्ष 2021 में कोविड-19 की आर्थिक त्रासदियों को बहुत कुछ कम किया जा सकेगा, वहीं दूसरी ओर अर्थव्यवस्था को गतिशील किया जा सकेगा और भारत की विकास दर को ऊंचाई पर पहुंचाया जा सकेगा।

जयंतीलाल भंडारी


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