वैश्विकी : पाकिस्तान में मंथन
बांग्लादेश की आजादी की स्वर्णजयंती और राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्हमान का जन्म शताब्दी वर्ष बांग्लादेश और भारत के लिए एक साझा जश्न का अवसर है।
वैश्विकी : पाकिस्तान में मंथन |
कोरोना महामारी के बावजूद दोनों देश इस अवसर को भव्यता और गौरवपूर्ण इतिहास की याद के रूप में मना रहे हैं। बांग्लादेश की आजादी में निर्णायक भूमिका निभाने वाला भारत इसे दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को और गहराई एवं ऊंचाई देने के लिए प्रयासरत है। भारत और बांग्लादेश जहां 16 दिसम्बर को आजादी के ऐतिहासिक पल को हषरेल्लास और गर्व के साथ मना रहे थे वहीं पाकिस्तान में राजनीतिक नेता, बुद्धिजीवी और मीडिया शर्म और हताशा के साथ आधी सदी पहले हुए घटनाक्रम को लेकर आत्मलोचन कर रहे हैं। देश के एक बड़े तबके में आजकल यह आशंका है कि बलूचिस्तान या मुल्क के किसी अन्य सूबे में बांग्लादेश की पुनरावृत्ति हो सकती है। दुनिया के इतिहास में बांग्लादेश एक अकेला उदाहरण है जिसमें एक क्षेत्रीय शक्ति (भारत) ने एक नये देश के जन्म में ‘मिडवाइफ’ की भूमिका निभाई। भारत अपने पड़ोस के पाकिस्तानी सूबों में क्या ऐसा ही घटनाक्रम दोहरा सकता है, इसे लेकर इस्लामाबाद में बेचैनी है। वहां इस बात का लेखा-जोखा भी लिया जा रहा है कि ढाका में लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाजी के नेतृत्व में 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के शर्मनाक आत्मसर्मपण का कसूरवार कौन था-राजनीतिक नेतृत्व या फौज के जनरल।
लंदन में निर्वासन का जीवन बिता रहे पाकिस्तान के सबसे प्रमुख राजनीतिक नेता नवाज शरीफ ने हजारों मील दूर रहते हुए भी, देश में जिस अभियान की शुरुआत की है उसमें पाकिस्तान के वजूद को लेकर बहुत से सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी सरकार के मंत्री नवाज शरीफ को गद्दार घोषित कर रहे हैं। सरकार की मुहिम पर शरीफ और उनकी पुत्री मरियम नवाज को चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया गया है, जबकि पंजाब सूबे के प्रमुख नेता शाहबाज शरीफ जेल में हैं।
सरकार के चौतरफा हमले से विचलित हुए बिना नवाज शरीफ ने इमरान सरकार के विरुद्ध जो मुहिम शुरू की है उसमें उनका निशाना सत्ता प्रतिष्ठान (सेना और आईएसआई) है। उनका कहना है कि इमरान खान तो एक कठपुतली है। देश में लोकतांत्रिक सरकारों को सत्ता पलट के जरिये हटाने का दुष्चक्र फौज ही रखती है। शरीफ के अनुसार 1947 में अलग मुल्क के निर्माण के बाद से ही फौजी जनरलों ने लोकतंत्र पर लगातार आघात किया और इसे पनपने नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि जनता में लोकप्रिय हर नेता को सत्ता प्रतिष्ठान ने गद्दार कहा।
शरीफ ने ऐसे लोगों की लंबी फेहरिस्त सामने रखी, जिनमें कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना की बहन मादर-ए-मिल्लत फातिमा जिन्ना, खान अब्बुल गफ्फार खां, उसके पुत्र वली खान, बलूच नेता अकबर बुग्ती आदि शामिल थे। शरीफ ने बांग्लादेश के जन्म के बारे में कहा कि शेख मुजीबुर्हमान को गद्दार कहा गया जिसके नतीजे में मुल्क के दो टुकड़े हो गए। आवामी जम्हूरी तहरीक (पीडीएम) की गुजरांवाला रैली में शरीफ ने अवाम से पूछा था कि गद्दार सियासी नेता हैं या फौजी जनरल।
पाकिस्तान में विरोधी दलों की इमरान खान विरोधी मुहिम में बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के नेता प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। ये नेता पंजाब केंद्रित फौज, राजनीति और नौकरशाही का तीव्र विरोध करते हैं। इन नेताओं को मुख्यधारा की मीडिया और राजनीतिक हलकों में सुनने वाला कोई नहीं है। पीडीएम ने इन नेताओं को जो मंच मुहैया कराया है उसके जरिये वे मुल्क के हर हिस्से तक अपना गिला-शिकवा जाहिर कर रहे हैं। पीडीएम की मुहिम का असर यह हुआ कि मुल्क ने सत्ता प्रतिष्ठान विरोधी फिजा बन गई है।
बांग्लादेश का घटनाक्रम पाकिस्तान के अन्य सूबों में दोहराया जाएगा या नहीं यह इस बात पर निर्भर है कि मुल्क के अन्य सूबों के साथ अन्याय खत्म होता है या नहीं। पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की ऐसी शिकायत थी कि पश्चिमी पाकिस्तान में बैठे हुक्मरान उनकी बंगाली अस्मिता को नकारते हैं तथा उनके साथ उपनिवेश जैसा बर्ताव किया जा रहा है। हाल के दशकों में बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध से भी ऐसी आवाजें उठ रहीं हैं।
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