मुद्दा : ईमानदार करदाताओं की चिंताएं
इन दिनों वेतनभोगी (सेलरीड) वर्ग के लाखों आयकरदाता यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि वे अपनी आमदनी पर ईमानदारी से आयकर का भुगतान कर रहे हैं, लेकिन अब उन लोगों पर सख्ती भी जरूर की जानी चाहिए, जो अच्छी कमाई करने के बाद भी टैक्स नहीं दे रहे हैं या फिर किसी तरह से हेराफेरी करके कम टैक्स दे रहे हैं।
मुद्दा : ईमानदार करदाताओं की चिंताएं |
यदि सरकार उपयुक्त रूप से करदाताओं की संख्या बढ़ाएगी, तो इसका लाभ अधिक कर बोझ का सामना कर रहे ईमानदार करदाताओं को अवश्य मिल पाएगा।
गौरतलब है कि विगत माह 12 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक समारोह में कहा था कि देश प्रत्यक्ष कर सुधार (डायरेक्ट टैक्स रिफॉर्म) की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश में कर प्रणाली को पिछले 4-5 सालों से लगातार सरल बनाया जा रहा है। करदाताओं के अधिकारों को स्पष्टता से परिभाषित करने वाला करदाता चार्टर भी शीघ्र लागू होगा। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि देश के 130 करोड़ लोगों में से सिर्फ 1.5 करोड़ लोग ही आयकर देते हैं। स्थिति यह है कि देश के केवल 3 लाख लोगों ने ही अपनी आय 50 लाख रुपये से अधिक घोषित की है। केवल 2200 प्रोफेशनल लोग ही अपनी आय एक करोड़ से अधिक घोषित करते हैं, जबकि पिछले 5 साल में 3 करोड़ लोग व्यापार के सिलसिले में या घूमने के लिए विदेश गए हैं तथा पिछले पांच वर्षो में 1.5 करोड़ से ज्यादा महंगी कारें खरीदी गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बहुत सारे लोगों द्वारा आयकर का भुगतान नहीं किया जाता है। ऐसे में उनके कर नहीं देने का भार ईमानदार करदाताओं पर पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि लोग ईमानदारी से कर देने का संकल्प लें।
यदि हम आयकर संबंधी आंकड़ों का अध्ययन करें तो पाते हैं कि वेतनभोगी लोगों ने पिछले वित्त वर्ष में औसतन 76306 रुपये का कर चुकाया था, जबकि पेशेवर और कारोबारी करदाताओं के मामले में यह औसतन 25753 रुपये था। इतना ही नहीं वेतनभोगी लोगों का कुल कर संग्रह का आकार पेशेवरों और कारोबारी करदाताओं के द्वारा चुकाए गए कर का करीब तीन गुना था। ऐसे में अर्थविशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि वेतनभोगी वर्ग नियमानुसार अपने वेतन पर ईमानदारीपूर्वक आयकर चुकाता है और आमदनी को कम बताने की गुंजाइश नगण्य होती है।
जो लोग विलासितापूर्ण जीवन जीते हैं और विलासिता की वस्तुओं का उपयोग करते हैं, ऐसे कर नहीं देने वाले लोगों की आमदनी का सही मूल्यांकन करते हुए उन्हें नये करदाता के रूप में चिह्नित किया जाना चाहिए। साथ ही जो वास्तविक कमाई से कम पर आयकर देते हैं, उन्हें भी चिह्नित करके अपेक्षित आयकर चुकाने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए। देश में टैक्स सुधार के एक महत्त्वपूर्ण कदम के तहत देश के आर्थिक इतिहास में पहली बार 5 फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रत्यक्ष कर विवादों के समाधान की विवाद से विश्वास योजना को लागू करने के लिए लोक सभा में प्रत्यक्ष कर विधेयक पेश किया था। फिर अब उसे आकषर्क और व्यापक दायरे वाली योजना बनाने के लिए 12 फरवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। उल्लेखनीय है कि प्रत्यक्ष कर विवादों के मामलों में 30 नवम्बर, 2019 तक 9.32 लाख करोड़ रु पये का कर फंसा हुआ है। ऐसे में प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना से आर्थिक सुस्ती से निपटने की डगर पर आगे बढ़ रही देश की अर्थव्यवस्था को जहां एक बड़ी धनराशि उपलब्ध होगी और मुकदमों पर सरकार को होने वाला खर्च घटेगा। चूंकि नया बजट 1 अप्रैल, 2020 से लागू होगा अतएव देश के इतिहास में पहली बार करदाता चार्टर भी लागू हो जाएगा। इससे भी करदाताओं की संख्या बढ़ सकती है।
उल्लेखनीय है कि बजट में आयकर अधिनियम में एक नई धारा 119ए जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। यह धारा केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को एक करदाता चार्टर अपनाने एवं घोषित करने के लिए अधिकृत करती है। आयकर अधिनियम में नई धारा जोड़े जाने के बाद सीबीडीटी के पास आयकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश और आदेश जारी करने की शक्ति मिल जाएगी। हम आशा करें कि टैक्स सरलीकरण की डगर पर आगे बढ़ते हुए देश में करदाता भी ईमानदारी से कर देने की डगर को आगे बढ़ाते हुए दिखाई देंगे। इससे जहां देश के ईमानदार करदाता लाभान्वित होंगे, वहीं इससे देश की अर्थव्यवस्था भी गतिशील होगी। हम यह भी आशा करें कि जब सरकार प्रत्यक्ष कर सरलीकरण की डगर पर आगे बढ़ रही है तब यदि लोग ईमानदारी से कर चुकाते हुए न दिखाई दें तो सरकार टैक्स वसूली की अपील से ज्यादा टैक्स वसूली की सख्ती की डगर पर आगे बढ़ेगी।
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