ऐसे कैसे 'अतुल्य भारत'!
भारत की समृद्ध पर्यटन संपदा के बारे में मशहूर अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन ने कहा है-'भारत वह भूमि है, जिसे दुनिया के तमाम लोग देखने की हसरत रखते हैं और जिन्होंने उसकी एक झलक भी देखी है, वे उस एक झलक के बदले दुनिया के तमाम नजारों को ठुकरा सकते हैं.'
ऐसे कैसे अतुल्य भारत. |
मार्क ट्वेन का यह कथन भारत की सांस्कृतिक विविधता का बयान करने वाला है. शायद इसी हकीकत से रूबरू होने के लिए स्विस नागरिक क्वैंटीन जेरेमी क्लॉर्क और उनकी महिला मित्र मैरी ड्रोज बीती 30 सितम्बर को भारत आए थे. लेकिन भारत में तीन हफ्ते गुजारने के बाद 22 अक्टूबर को आगरा के मशहूर ऐतिहासिक स्थल फतेहपुर सीकरी में उनका सामना एक ऐसी शर्मनाक हकीकत से हो गया, जिसका दुनिया के मंच पर हमारे पास देने के लिए कोई जवाब नहीं हो सकता. उस पर सिर्फ लज्जित ही हुआ जा सकता है. आगरा रेलवे स्टेशन से कुछ लफंगे इस स्विस जोड़े का पीछा करते हुए फतेहपुर सीकरी तक पहुंच गए और वे मैरी ड्रोज के साथ सेल्फी लेने की जिद करने लगे. क्लॉर्क ने उनका विरोध किया. नतीजा उन लफंगों ने दोनों सैलानियों को बुरी तरह घायल कर दिया.
क्लॉर्क ने कहा है कि उन्हें ज्यादा तकलीफ इस बात से हुई कि बीच-बचाव करने के बजाय वहां मौजूद लोग घटना की तस्वीर उतारने और वीडियो बनाने में मशगूल थे. बहरहाल, दोनों सैलानियों को दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. बताते हैं कि क्लॉर्क को कान पर चोट की वजह से अभी भी सुनने में परेशानी हो रही है. विडंबना है कि यह सब तब हुआ जब भारत सरकार पूरे देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन पर्व का आयोजन कर रही थी. घटना का चिंताजनक पहलू यह है कि स्थानीय पुलिस ने राज्य के पुलिस मुख्यालय को भी इस घटना के बारे में अंधेरे में रखा और समय से सूचना तक नहीं दी. जबकि किसी विदेशी सैलानियों के मामलों को अतिसंवेदशील श्रेणी में रखा गया है. स्थानीय पुलिस की पहली जिम्मेदारी है इससे पुलिस मुख्यालय को अवगत कराए. इस घटना की जानकारी भी तब आम हुई, जब अगले दिन पर्यटन पर्व का समापन समारोह मनाया जा रहा था.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मामले का संज्ञान लिया है और प्रदेश सरकार से इस बारे में रिपोर्ट तलब की है. लेकिन क्या घटना घट जाने के बाद यही सब कर देना काफी होता है? विदेशी सैलानियों के साथ बदसुलूकी की यह कोई पहली घटना नहीं है. आए दिन ऐसी वारदातें मीडिया की सुर्खियां बनती हैं-कभी अजमेर-पुष्कर से तो कभी गया से, कभी बनारस से तो कभी इलाहाबाद, हरिद्वार, मथुरा-वृंदावन, खजुराहो, गोवा आदि स्थानों से इस तरह की खबरें आती रहती हैं. पिछले साल फरवरी में नीदरलैंड की एक युवती के साथ मध्यप्रदेश में दुष्कर्म किया गया, जिसमें होमगार्ड के दो जवानों को गिरफ्तार किया गया था.
इसी तरह, जनवरी 2015 में बिहार के गया जिले में एक जापानी युवती से बलात्कार किया गया था. अभी इसी साल अप्रैल में राजस्थान के अजमेर घूमने आए एक स्पेनिश जोड़े पर कुछ बदमाशों ने हमला कर उसे घायल कर दिया और महिला के साथ बलात्कार की कोशिश भी की. एक अन्य वारदात में अपने माता-पिता के साथ देहरादून घूमने आई बारह साल की इस्रइली लड़की के साथ एक फोटोग्राफर ने बदसलूकी की कोशिश की. और तो और देश की राजधानी दिल्ली भी ऐसी घटनाओं से अछूती नहीं रहती है. जून में दिल्ली में उज्बेकिस्तान की छब्बीस साल की युवती के साथ बलात्कार की घटना अभी तक चर्चा में है.
दरअसल, हमारी सरकारें डींगे चाहे कितनी भी हांक ले, हकीकत यह कि हम अपने देश को अभी तक देशी-विदेशी सैलानियों के लिए निरापद नहीं बना पाए है. विदेशी सैलानियों के साथ र्दुव्यवहार, बलात्कार, मारपीट, लूटपाट की एक घटना पुरानी नहीं पड़ती कि नई वारदात फिर हो जाती है. सवाल है कि आखिर यह शर्मनाक सिलसिला कब तक चलता रहेगा और हमारी सरकारें 'अतिथि देवो भव:' और 'अतुल्य भारत' का मंत्रोच्चार करते हुए कब तक विदेशी सैलानियों को उनकी किस्मत के भरोसे छोड़ती रहेगी? विदेशी पर्यटकों के मन में भारत को लेकर बढ़ रहे असुरक्षा भाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे अब भारत आते ही अपनी सुरक्षा के लिए मिर्च पाउडर रखने से लेकर बॉडीगार्ड रखने तक खुद ही तमाम तरह के इंतजाम करने लगे हैं. यह स्थिति हमारी पुलिस व्यवस्था पर एक कठोर टिप्पणी तो है ही, हमारे पर्यटन उद्योग के लिए भी बेहद नुकसानदेह है.
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