श्रीलंका-भारत : मछुआरों पर जुल्म कब तक?
श्रीलंका हमेशा से भारत के सबसे अच्छे मित्रों और पड़ोसियों में से एक रहा है. भारत और श्रीलंका सिर्फ जल-सीमा साझा करते हैं.
श्रीलंका-भारत : मछुआरों पर जुल्म कब तक? |
भारत-श्रीलंका जल-सीमा विवादित तो नहीं है, पर पूरी तरह स्पष्ट रूप से परिभाषित भी नहीं है. इसीलिए दोनों देशों के मछुआरें एक-दूसरे के इलाकों में अक्सर चले जाते हैं. ताजा घटनाक्रम में 7 मार्च 2017 को दोनों देशों की जल-सीमा पर श्रीलंकाई नौसेना ने एक बार फिर गोलियां चलाकर एक भारतीय मछुआरे को मार डाला और एक को घायल कर दिया. उनके साथ गए मछुआरे यह कह रहे हैं कि वो भारत की सीमा में ही थे और श्रीलंकाई नौसेना इस घटना में अपना हाथ होने से पूरी तरह से मुकर गई है.
मछुआरे जब गहरे समुद्र में मछलियां पकड़ने अपनी नौकाओं में जाते हैं, तो उनके पास आधुनिक संचार व्यवस्था या प्रणाली नहीं होती. जीपीएस भी सिर्फ आधुनिक तकनीक से लैस छोटे जहाजों में होता है. सब तरफ सिर्फ पानी होने से ये उम्मीद करना ही व्यर्थ है कि वो देशों के बीच की सटीक जल सीमा-रेखा को ध्यान में रखकर अपने देश की सीमा में रहकर ही मछली पकड़ेंगे. कभी-कभी अच्छी मछलियों की तलाश के लालच में वे थोड़ा आगे भी चले जाते हैं. पर वे कोई आतंकवादी या जासूस नहीं हैं, जिनसे सामने वाले देश को कोई खतरा हो. फिर भी पिछले तीस सालों में श्रीलंकाई नौसेना सैकड़ों भारतीय मछुआरों को मार चुकी है. जहां तक सवाल भारतीय नौसेना और तटरक्षक बलों का है, तो वो कभी भी बिना चेतावनी दिए दूसरे देशों से हमारे यहां गलती से घुस आए लोगों पर आक्रामक कार्रवाई नहीं करते.
कुछ ही मामलों में उनके जासूस होने के शक पर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है. पाकिस्तान और बांग्लादेश से थल एवं जल सीमा और श्रीलंका से जल सीमा का उल्लंघन कर भारत आए सैकड़ों लोग हर साल सुरक्षित वापस भेजे जाते हैं. निहत्थे-निर्दोष लोगों को स्पष्ट रूप से मछुआरों के रूप में पहचानने के बाद भी सीधे गोली मारकर जान से मारना अंतरराष्ट्रीय नियमों का सरासर उल्लंघन है. भारत सरकार के इन मामलों पर हमेशा से ढुलमुल रवैये के कारण ही श्रीलंका की नौसेना अक्सर अकारण ही बेहद आक्रामक रवैया अपनाती है. भारत-श्रीलंका के बीच की जल-सीमा के चार अलग-अलग क्षेत्र हैं. ये हैं-राम सेतु, मन्नार की खाड़ी, पाक जलडमरूमध्य क्षेत्र और लक्षदीप का सागर.
मछुआरों को निशाना बनाने के ज्यादातर मामले राम सेतु और पाक जलडमरू मध्य क्षेत्र में होते हैं. भारत द्वारा इन मामलों में पर्याप्त सख्ती नहीं दिखाने के कारण हम अपने नागरिकों की जान की हिफाजत नहीं कर पा रहे है. हमारे इसी दुविधाग्रस्त रु ख के कारण ही भारत-बांग्लादेश सीमा पर बांग्लादेशी राइफल्स के जवान भी कई बार अपनी तरफ से पहल करके
भारत के सीमा सुरक्षा बल के जवानों पर फायरिंग कर चुके हैं. उन्हें पता है कि एक बेहद शक्तिशाली सेना वाला मुल्क होने के बावजूद उन्हें मित्र देश समझकर भारत उसका कभी माकूल जवाब नहीं देगा. पड़ोसी देशों से संबंधों में भारत जब बड़े भाई जैसी उदारता दिखाता है, तो संबंधित देश उसका बेजा फायदा उठाकर उसे कमजोर समझते हैं. इसीलिए बेहतर यही है कि पड़ोसी मुल्कों से संबंधों में मधुरता के साथ दृढ़ता भी दिखाई जाए.
चूंकि श्रीलंकाई नौसेना ताजा घटना में अपना हाथ होने से इनकार कर रही है, तमिलनाडु हाईकोर्ट की मदुरै खंडपीठ ने केंद्र सरकार से मामले की जांच करने को कहा है, ताकि यह पता लगाए जा सके कि ये वाकया वास्तव में कहां हुआ और अगर श्रीलंकाई नौसेनिकों को इसमें दोषी पाया जाता है, तो उनके भारत प्रत्यर्पण की कार्रवाई हो सके. तमिलनाडु सरकार ने घटना में मारे गए रामेरम के 22 साल के मछुआरे के परिजनों को पांच लाख और घायलों को एक लाख रुपये का मुआवजा और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है. अब केंद्र सरकार से यही उम्मीद है कि विदेश मंत्रालय और पीएमओ इस मामले की गंभीरता और देश में जनभावना को समझते हुए श्रीलंकाई समकक्षों को दृढ़ता से जवाब दें. बेहतर हो कि भारतीय क्षेत्रों में मत्स्य-पालन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास जाने वाले मछुआरों और उनकी नौकाओं का डेटाबेस तैयार करके उन पर निगरानी के लिए इसरो द्वारा खासतौर पर छोटी नावों के लिए विकसित किए गए सेंसर्स भी तत्काल लगाए जाना चाहिए.
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