न्यूज पोर्टल में एफडीआई अब तक नहीं बनी नीति
मोदी सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सभी दरवाजे खोल दिये हैं लेकिन एक दरवाजा ऐसा है जो अभी भी बंद रह गया.
न्यूज पोर्टल में एफडीआई अब तक नहीं बनी नीति |
न्यूज पोर्टल में भारत में एफडीआई आ रहा है कि लेकिन उसकी अनुमति कौन देगा इसका पता ही नहीं है.
मोदी सरकार ने हाल में ही एफडीआई की सीमा बहुत से क्षेत्रों में 100 प्रतिशत तक बढ़ा दी है. लेकिन प्रिंट मीडिया में 26 प्रतिशत और न्यूज चैनलों में 49 प्रतिशत ही है. जबकि मनोरंजन टीवी चैनलों में 100 प्रतिशत तक है.
लेकिन न्यूज पोर्टल के बारे में कोई नीति न होने के कारण इसमें आने वाले एफडीआई की फाइलें इधर से इधर घूम रही हैं. सरकार न्यूज पोर्टल और यू-टयूब चैनलों को मान्यता नहीं देती. इसलिए इस बारे में कोई नीति भी तैयार नहीं है.
हाल के दिनों में भारत में कुछ न्यूज पोर्टलों में एफडीआई के आवेदन आये हैं. इनमें न्यूज लांड्री प्रमुख है. इस पोर्टल ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को आवेदन किया तो मंत्रालय ने फाइल लौटा दी. फिर मामला वाणिज्य मंत्रालय गया.
वाणिज्य मंत्रालय ने भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सलाह के लिए फाइल भेज दी. मामला फंसने के बाद डीआईपीपी ने न्यूज लांड्री की फाइल पर विचार करने को कहा है. यदि एफआईपीबी होता तो वह इस मसले को देखता लेकिन सरकार ने उसे भंग कर दिया है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इसके बाद कानून मंत्रालय से सलाह मांगी है कि न्यूज पोर्टलों की निगरानी के लिए क्या किया जाए. कोई कानून बनाया जाए या मौजूदा कानूनों के तहत ही इनका नियमन किया जाए. मंत्रालय ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से भी सलाह मांगी है.
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