GST: एक देश एक कर, जानें कुछ खास जानकारियां

Last Updated 29 Jun 2017 09:45:40 AM IST

सरकार की लंबी कवायद के बाद जीएसटी लागू होने की घड़ी नजदीक आ गई है. तीस जून की रात को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में एक कार्यक्रम होगा जिसमें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शामिल होंगे.


फाइल फोटो

रात्रि के 12 बजते ही घंटा बजेगा और इसके साथ ही ‘एक देश एक कर’ की व्यवस्था लागू हो जाएगी. इसके प्रचार-प्रसार को लेकर सरकार भी खूब जोर दे रही है लेकिन लोगों के मन में अब भी सवाल हैं कि मौजूदा व्यवस्था और जीएसटी में क्या फर्क है. आइए समझते हैं कि जीएसटी से हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा-


क्या है जीएसटी
जीएसटी प्रणाली के तहत देशभर में एक वस्तु पर एक ही दर से कर लगेगा. इस नई व्यवस्था में उत्पाद शुल्क, सेवाकर, मूल्य वर्धित कर (वैट) सहित केंद्र और राज्यों में लगाए जाने वाले 16 विभिन्न कर समाहित कर दिए गए हैं.

क्या है बदलाव

वर्तमान अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था और जीएसटी की तुलना करें तो इसमें भारी अंतर है. विभिन्न वस्तुओं पर कर की चार दरें 5, 12, 18 और 28 फीसद होंगी. बाकी तमाम स्तरों के कर बाद के कर से घटा दिए जाएंगे.

किसको फायदा
जीएसटी को लेकर लोगों में आशंका है कि इससे वस्तुएं और सेवाएं महंगी हो जाएंगी जिससे उनका बजट बिगड़ जाएगा. व्यापारियों को भी कारोबार ठप होने का खौफ सता रहा है. कई उद्योग इसके विरोध में उतर आए हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो जीएसटी से डरने की कोई जरूरत नहीं है. इस नई अप्रत्यक्ष कर पण्राली से शुरुआत में बेशक कुछ असुविधा हो लेकिन आगे उद्योग, व्यापार और आम लोगों यानी सभी को इसका फायदा होगा. यह आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार है. इस पण्राली से सिर्फ उन्हीं लोगों को डरना चाहिए जो ’कच्चे बिल’ पर काम करते हैं. जीएसटी में कर चोरी की गुंजाइश काफी हद तक कम हो जाएगी.

कैसे होगा आकलन
उदाहरण के लिए मौजूदा व्यवस्था में यदि एक साबुन की लागत 10 रुपए है तो फैक्टरी से निकलते ही उस पर 12.5 फीसद की दर से उत्पाद शुल्क लग जाता है. कर लगते ही वस्तु की कीमत 12.50 रुपए हो जाती है. एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर कई तरह टैक्स और लग जाते हैं. इन सबको जोड़कर बिक्री के समय इस पर 12 फीसद वैट लग जाता है. इस तरह उपभोक्ता तक पहुंचने पर इसकी कीमत करीब 13 रुपए हो जाती है. जीएसटी प्रणाली में 10 रुपए के साबुन पर केवल 18 फीसद टैक्स लगेगा. इससे ग्राहक को 11.80 रुपए चुकाने होंगे. पहले की तुलना में यह उत्पाद करीब नौ फीसद सस्ता पड़ेगा. हालांकि जीएसटी के बाद कुछ वस्तुओं पर सेवाओं के दाम बढ़ सकते हैं लेकिन सरकार ने कर का आधार और राजस्व बढ़ने पर दरों की फिर से समीक्षा करने का भरोसा दिया है. ऐेसे में जीएसटी की व्यवस्था को लेकर किसी भी व्यक्ति को भी डरने की जरूरत नहीं है.



कौन आएगा दायरे में
नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली यानी जीएसटी की प्रक्रिया काफी जटिल है. मौजूदा व्यवस्था और जीएसटी में क्या फर्क है, जीएसटी में किस तरह से कर लगेगा, कितने तरह के करों को जीएसटी में शामिल किया गया है, इसे समझ पाना बेहद मुश्किल है. इस वजह से जो व्यापारी जीएसटी के दायरे में नहीं आ रहे हैं वह भी विरोध-प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं. ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि नई कर पण्राली के दायरे में कौन-कौन लोग आएंगे.

कर मुक्त सीमा
जिन व्यापारियों का सालाना कारोबार 20 लाख रुपए तक का है वह जीएसटी के दायरे में नहीं आएंगे. पूर्वोत्तर और विशेष दर्जा वाले राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में यह सीमा 10 लाख रुपए है. ऐसे कारोबारी चाहें तो जीएसटी के लिए पंजीकरण करा सकते हैं. ऐसा करने पर उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी रिफंड का फायदा मिलेगा. यदि कोई व्यक्ति एक से दूसरे राज्य में कारोबार करता है तो उसके लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा.

जीएसटी से बाहर
कुछ उत्पाद ऐसे हैं जिन पर राज्यों को ज्यादा राजस्व मिलता है. ऐसे उत्पादों को जीएसटी से बाहर रखा गया है. इनमें पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और शराब प्रमुख रूप से शामिल हैं. इन उत्पादों पर पहले की तरह ही टैक्स लगेंगे. इस बात का संविधान संशोधन पर जिक्र किया गया है. जीएसटी परिषद का फैसला है कि इन पर कुछ समय बाद ही जीएसटी लागू होगा. तब तक मौजूदा व्यवस्था के तहत केंद्र सरकारें और राज्य सरकारें उन पर पहले की तरह टैक्स लगाती रहेंगी. शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं जीएसटी से पूरी तरह बाहर हैं.

 

सहारा न्यूज ब्यूरो


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