भारत धर्मशाला नहीं
आप्रवास और विदेशियों विषयक विधायक 2025 अंतत: लोक सभा से पारित हो गया। इधर के दिनों में विशेषकर भारत में बांग्लादेश में रोहिंग्या की भारी घुसपैठ के कारण इस विधायक की जरूरत ज्यादा ही महसूस की जा रही थी।
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कुछ एजेंटों तथा सक्रिय निहित स्वार्थ के कारण इन दोनों समुदायों के लोग भारत में आकर न केवल भारतीय पहचान पत्र बनवाने में सफल हो जाते हैं बल्कि अपने लिए अस्थाई और अस्थाई अजीविका भी तलाश लेते हैं। अगर मामला यहीं तक सीमित होता तब भी गनीमत थी, लेकिन इन समुदायों के लोग सामान्य से लेकर गंभीर अपराधों तक और यहां तक की भारत-विरोधी गतिविधियों में भी लिप्त पाए गए हैं।
भारत सरकार तथा भारतीय हितों के पोषक लोग लंबे समय से इनके खतरे के प्रति आगाह भी करते रहे हैं और इसे नियंत्रित करने के प्रयासों पर चर्चा करते रहे हैं। इन्हीं सब की परिणति है यह नया विधेयक। इस विधेयक पर चर्चा करते हुए गृह मंत्री अमित शाह की इस बात से असहमत नहीं हुआ जा सकता कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है कि कोई भी यहां चला आए, बस जाए और बिना किसी रोक-टोक के जो मन आए करता रहे। वास्तविक समस्या बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की नहीं बल्कि उनकी है जो उनके आगमन को संभव बनाते हैं। उनके रहने और रोजगार की व्यवस्था करते हैं और फिर उन्हें भारत विरोधी गतिविधियों का हिस्सा बनते हैं।
अब देखना है कि इस नाम इस कानून के लागू होने के बाद किस तरह से घुसपैठियों पर रोक लगेगी और किस तरह से उनके विरु द्ध कार्रवाई होगी जो भारत में घुसपैठ को सुगम बनाते हैं। याद रखना चाहिए कि इन घुसपैठियों की मदद करने वाले तथा इन्हें भारत में बसने के दस्तावेज उपलब्ध कराने वालों का एक वृहद तंत्र है जो समूचे भारत में फैला हुआ है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि गृह मंत्री ने इस घुसपैठ को रोकने में सहयोग करने का आरोप पश्चिम बंगाल की सरकार पर भी लगाया है। उन्होंने कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के पास जो आधार कार्ड मिलते हैं वह पश्चिम बंगाल में 24 परगना जिले के होते हैं। उम्मीद करनी चाहिए कि यह नया कानून और गृह मंत्री के प्रयास सही परिणति तक पहुंचेंगे, भारत को घुसपैठ से राहत मिलेगी और धर्मशाला खाली होगा।
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