सुप्रीम कोर्ट का कार्यस्थल पर वरिष्ठों के बर्ताव को लेकर बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर वरिष्ठों के बर्ताव को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों की डांट-फटकार को इरादतन किया गया अपमान नहीं माना जा सकता, जिस पर आपराधिक कार्यवाही की जरूरत हो।
![]() सुप्रीम कोर्ट का कार्यस्थल पर वरिष्ठों के बर्ताव को लेकर बड़ा फैसला |
ऐसे मामलों में व्यक्तियों के विरुद्ध आपराधिक आरोप लगाने की अनुमति देने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं। पीठ ने कहा महज गाली-गलौच, असभ्यता व अशिष्टता भारतीय दंड संहिता की धारा 504 के तहत आदतन किया गया अपमान नहीं है। यह धारा शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान करने से संबंधित है, जिसमें दो साल की सजा का प्रावधान है।
मामले में राष्ट्रीय दिव्यांग सशक्तिकरण संस्धान के कार्यवाहक निदेशक पर सहायक प्रोफसर को अपमानित करने का आरोप था। शिकायतकर्ता के अनुसार निदेशक ने अन्य कर्मचारियों के समक्ष डांटा व फटकारा था। यह सच है कि कार्यस्थल से संबंधित अनुशासन और कर्तव्यों के निर्वहन से जुड़ी फटकार, जो व्यक्ति कार्यस्थल पर प्रबंधन करता है, वह अधीनस्थों से अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा व समर्पण से पूरी करने की उम्मीद करेगा।
हालांकि स्पष्ट तौर पर देखने में आता है कि अनुशासन के नाम पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपने अधीनस्थों के साथ संतुलित बर्ताव का अभाव नजर आता है। लहजा गलत हो भी तो नीयत बुरी नहीं होनी चाहिए, परंतु इस बारीक अंतर को समझना या समझा पाना भी आसान नहीं है। सेना के सख्त अनुशासन के दरम्यान कई बार ऐसी खबरें आती रहती हैं, जहां नीचे के ओहदे के सैनिक द्वारा अपने अधिकारी की हत्या तक कर दी गई।
तय रूप से काम का दबाव, उच्च दज्रे की तामील, पाबंदियां और तय वक्त पर जिम्मेदारियों का निर्वहन अधिकारियों के जेहन पर खासा दबाव बनाते हैं। वे भी तनावग्रस्त या काम के बोझ के चलते सामान्य बर्ताव करने से चूक सकते हैं। यहां बात सिर्फ उच्चाधिकारियों या कनिष्ठों तक ही सीमित नहीं है।
कार्य-स्थल पर अभद्र भाषा या गाली-गलौच करने वाले अशिष्ट अधिकारियों के बर्ताव को लेकर भी कर्मचारी क्षुब्ध रहते हैं। ज्यों कार्यस्थल पर महिलाओं के खिलाफ होने वाले उत्पीड़न व अभद्र बर्ताव को लेकर कानून बनाए गए हैं। वैसे ही समस्त कर्मचारियों के हित में भी व्यवहारगत संहिता लागू किए जाने की जरूरत है। मानवता कहती है, ओहदे ऊपर-नीचे होने से दोयम बर्ताव करने का हक किसी को नहीं दिया जा सकता। यह नियम मालिकान व मुलाजिम पर भी लागू होता है।
Tweet![]() |