रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्ती और शांति में भारतीय हित

Last Updated 19 Feb 2025 01:06:26 PM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी घोषणा के अनुसार कार्यकाल की शुरुआत में ही रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने तथा शांति वार्ता आयोजित करने के संबंध में ठोस पहल की है।


रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्ती और शांति में भारतीय हित

उन्होंने शांति वार्ता को जमीन पर उतरने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत की। इसी का परिणाम है कि मंगलवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में अमेरिका और रूस के विदेश मंत्री शांति वार्ता का प्रारूप तैयार करने के लिए मुलाकात कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ट्रंप का यूक्रेन के संबंध में उठाया गया यह कदम अमेरिका की पुरानी नीति से एकदम अलग है और इसमें यूरोप के साथ गहराते मतभेदों के संकेत हैं। अगर ट्रंप युद्ध समाप्ति की दिशा प्रयास कर रहे हैं तो उनके प्रयास की सराहना की जानी चाहिए, क्योंकि इस युद्ध में यूक्रेन ने बहुत तबाही मोल ली है। इसलिए इसे रुकना ही चाहिए। बाइडन ने पुतिन को ‘हत्यारा तानाशाह’ कहा था और युद्ध को भड़कने का आरोप लगाया था।

दूसरी ओर यूरोपीय नेताओं ने सोमवार को पेरिस में आपातकालीन बैठक कर यूक्रेन मुद्दे पर एक संयुक्त मोर्चा बनाने पर चर्चा की। वास्तव में ट्रंप की यूक्रेन पर बवंडर नीति ने यूरोप और स्वयं यू्क्रेन के सामने हाशिये पर जाने का खतरा पैदा कर दिया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को सऊदी अरब में आयोजित शांति वार्ता में आमंत्रित नहीं किया गया है। नतीजतन शांति वार्ता की सफलता संदिग्ध है।

जेलेंस्की और अन्य यूरोपीय देश रूस के साथ अपने विरोधपूर्ण संबंधों के कारण उसके आगे समर्पण करना नहीं चाहते। यूरोपीय देश यूक्रेन को हारता देखना नहीं चाहते, लेकिन उन्हें यह समझ में क्यों नहीं आता कि अपनी थोड़ी सी सहायता के बल पर यूक्रेन को युद्ध में झोंके रखना वस्तुत: कीव को विनाश के कगार पर पहुंचाना है।

अमेरिका में राष्ट्रीय खुफिया निदेशक पद पर तुलसी गबार्ड की नियुक्ति पर मोहर लगने के बाद यूरोपीय देशों की चिंता और बढ़ गई है, क्योंकि उन्हें युद्ध विरोधी नेता माना जाता है। भारत शुरू से युद्ध समाप्त करने के पक्ष में खड़ा रहा है। अभी पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका की यात्रा के दौरान यूक्रेन पर अपनी नीति स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत तटस्थ नहीं रह सकता। भारत रूस को अपना विसनीय सहयोगी मानता है और वह किसी भी ऐसे कदम का स्वागत करेगा जो चीन और उसके गहराते संबंधों पर लगाम लगाए।



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