उत्तराखंड में यूसीसी लागू करना सराहनीय कदम
उत्तराखंड में सोमवार से समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू हो गया और इस तरह से आजाद भारत में यह पर्वतीय प्रदेश यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य बन गया।
उत्तराखंड में यूसीसी लागू करना सराहनीय कदम |
उत्तराखंड में भाजपा की सरकार के इस ऐतिहासिक कदम को दुराग्रहपूर्व दृष्टि से न देखकर इसे विभिन्न सामाजिक समूह के बीच सेतु बनाने की प्रक्रिया तहत लिया जाना चाहिए। जिस तरह से भारतीय दंड संहिता और आर्थिक विधान के अंतर्गत सभी सामाजिक सामुदायिक समूह एक ही प्रक्रिया से गुजरते हैं, उसी तरह से सभी सामाजिक समूह भी अगर समान सामाजिक और सांस्कृतिक नियमों का पालन करेंगे तो इससे यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि उनके बीच सामाजिक और सांस्कृतिक आवाजाही बढ़ेगी और उनके पहचानगत दुराग्रह कमजोर पड़ेगी।
यूसीसी में सभी पंथों, धर्मो या समुदायों के विवाह, भरण-पोषण, विरासत आदि मामलों के एक समान कानून का प्रावधान किया गया है। अर्थात समान नागरिक संहिता बहु-विवाह, बाल विवाह, हलाला और तीन तलाक जैसी सामाजिक बुराइयों पर रोक लगाता है।
हालांकि आधुनिक शिक्षा के प्रभाव में आकर मुसलमान भी एकल विवाह को अपनाने लगे हैं, फिर भी पिछड़े और दकियानूसी लोग इस्लाम धर्म में यथास्थिति बनाए रखना चाहते हैं और ऐसे लोग यूसीसी का विरोध भी कर रहे हैं, लेकिन एक उनके विरोध से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। इनका विरोध पानी के बुलबुले की तरह क्षणभंगुर है जो कुछ पलों में शांत हो जाएगा।
अनुसूचित जनजातियों के रीति और परंपराओं का संरक्षण करने के मकसद से इन्हें यूसीसी के दायरे से बाहर रखा गया जिसे दूरदर्शी भरा कदम कहा जा सकता है। लिव-इन रिलेशनिशप से जुड़ी उच्छृंखलता और दायित्वहीनता बोध को समान नागरिक संहिता कानून के जरिए नियंत्रित किया गया है।
यह सराहनीय कदम है। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने इसे लागू करने के बाद कहा कि राज्य के सभी नागरिकों के संवैधानिक और नागरिक अधिकार अब समान हो गए हैं।
उम्मीद की जानी चाहिए कि यूसीसी भारतीय समाज में मौजूद बुराइयों को समाप्त करने में सहायक होगा।
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