वक्फ कानून में संशोधन पर हंगामा कितना सही
वक्फ कानून में संशोधन को लेकर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति की आखिरी बैठक में जबरदस्त हंगामा हुआ। दस विपक्षी सदस्यों को निलंबित करने के बाद बैठक सुचारू रूप से चली।
वक्फ कानून में संशोधन पर हंगामा कितना सही |
भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए के चौदह प्रस्ताव पारित कर दिए, जबकि विपक्ष के तरफ रखे सभी 44 प्रस्ताव खारिज कर दिया गया। वक्फ बोर्ड से प्रस्तावित दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को हटाने के सुझाव प्रमुख थे, जिन्हें नामित करने को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव है। वक्फ संपत्ति पर विवाद होने पर कलेक्टर स्तर का अधिकारी जांच करेगा। यह कानून पिछले मामलों पर लागू नहीं होगा। जो वक्फ की संपत्तियां पंजीकृत नहीं हैं, उनका पंजीकरण शुरू होगा।
जिन संपत्तियों पर वक्फ का कब्जा है, वे वापस मालिकों को मिल सकेंगी। आरोप लगाया जा रहा है कि ये प्रस्तावित कानून विधेयक के दमनकारी चरित्र को बरकरार रखेगा और मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने प्रयास करेगा। विपक्ष इसका विरोध कर रहा है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को चोट पहुंचाने का आरोप लगा रहा है। वे संसद से मंजूरी मिलने पर सुप्रीम कोर्ट जाने की धमकी दे रहे हैं।
जैसा कि भाजपा कांग्रेस के वोट बैंक की राजनीति में सुराख करने व गरीब मुसलमानों को उनका हक दिलाने के नाम पर इसे कानून बनाने की मशक्कत लंबे समय से कर रही है। तमाम विरोधों के बावजूद कुछ लोग कब्रिस्तान में होने वाले अतिक्रमणों व जबरन की जा रही अनधिकृत कब्जेदारी से निजात पाने के लिए इस निर्णय से खुश भी हैं। वक्फ संपत्तियों के प्रशासन व प्रबंधन के उद्देश्य से संशोधन विधेयक 2024 को लेकर अभी भी बड़ी चुनौतियां बनी हुई हैं।
अनुमान है कि 2009 में वक्फ के पास चार लाख एकड़ जमीन थी, जो आठ लाख एकड़ तक जा पहुंची है। इनमें कब्रगाहों के अतिरिक्त मदरसों व मस्जिदों की जमीनें बताई जाती हैं। हालांकि धारा 104ए पहले ही वक्फ संपत्ति की बिक्री, उपहार, किसी भी तरह के बंधन या हस्तांतरण को प्रतिबंधित करता है। मगर वक्फ को दिए गए अधिकारों को लेकर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं।
चूंकि मोदी सरकार समुदाय विशेष के साथ पक्षपाती रवैया रखती है इसलिए उसके द्वारा लिए गए कोई भी निर्णय संदेह से परे नहीं माने जाते। विपक्ष को अपनी बात सलीके से रखनी चाहिए परंतु उसकी अनसुनी किया जाना तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता। समिति को एकतरफा निर्णय लेने की बजाए मध्यमार्ग अपनाने के प्रति जबावदेह होना चाहिए।
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