जातीय जनगणना की हुंकार

Last Updated 20 Jan 2025 10:59:49 AM IST

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जातीय जनगणना कराए जाने की मांग को दोहराते हुए कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आने के बाद किसी भी कीमत जातीय जनगणना करवा कर रहेगी।


कांग्रेस नेता राहुल गांधी

बुधवार को पटना में ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि इस बाबत उन्होंने संसद में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में स्पष्ट कहा है कि संविधान को कमजोर करने और हाशिए पर पड़े समुदायों की अनदेखी नहीं करने दी जा सकती।

राहुल आरोप लगा चुके हैं कि भाजपा और आरएसएस यह कृत्य कर रहे हैं। यह भी आरोप लगा चुके हैं कि संघ प्रमुख मोहन भागवत का ‘सच्ची आजादी’ वाला बयान ‘देश के संविधान के खिलाफ है’। बेशक, आर्थिक प्रगति में समाज के हर हिस्से की भागीदारी होना जरूरी है। इसी से समावेशी समाज की परिकल्पना मूर्ताकार हो सकती है, लेकिन हकीकत यह है कि समाज का एक बड़ा हिस्सा प्रगति में हिस्सेदार नहीं बन सका है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने भी इस तरफ ध्यान दिलाया है।

‘दलितों, अल्पसंख्यकों और सामाजिक रूप से हाशिए पर रह रहे समुदायों की आबादी देश की कुल जनसंख्या का नब्बे फीसद हैं, लेकिन वे  व्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं..यही कारण है कि हम जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं’ यह ध्यान दिलाते हुए राहुल ने बिहार में की गई जाति आधारित गणना को ‘फर्जी’ करार दिया।

कहा कि यह ‘लोगों को बेवकूफ बनाने वाली है।’ ऐसा है तो राहुल को सबसे पहले कांग्रेस शासित राज्यों और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार शासित राज्य में भी जाति आधारित जनगणना कराई जानी चाहिए।

बिहार में जातीय गणना की गई थी न किी जातीय जनगणना, लेकिन इस तकनीकी पचड़े में न भी पड़ें तो इतना तो साफ है कि जातियों और समुदायों की वास्तविक संख्या का आंकड़ा न होने पर उनके लिए कल्याणकारी कार्यक्रम और योजनाओं का क्रियान्वयन बेमानी रहता है, और ऐसा होता भी रहा है।

शायद यह भी कारण रहा देश की संपत्ति में इन जातीय समूहों की हिस्सेदारी का आकलन आज भी हमारे पास नहीं है। कहना न होगा कि जातीय गणना या जातीय जनगणना-भले ही जो भी कहें-से ही हमें उन समूहों की सटीक संख्या मिल सकेगी जिन्हें लक्षित करके योजनाएं बनाकर क्रियान्वित की जा सकेंगी। समावेशी विकास तभी सुनिश्चित हो सकेगा।



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