राम पर ही भरोसा
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वषर्गांठ से जुड़े तीन दिवसीय समारोह का अयोध्या में भव्य आरती और छप्पन भोग के साथ शुभारंभ हुआ।
राम पर ही भरोसा |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर देशवासियों को शुभकामनाएं देने के सात ही पोस्ट किया, सदियों के त्याग, तपस्या और संघर्ष से बना यह मंदिर हमारी संस्कृति और अध्यात्म की महान धरोहर है। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाआरती में भाग लिया तथा राम की महिमा में संस्कृत के श्लोक के साथ राम की तस्वीर पोस्ट की।
यजुर्वेद के चालीस अध्याय के पाठ और राम मंत्र के छह लाख जाप के साथ तीन दिनी संगीतमय मानस पाठ होगा। राम मंदिर बनाने की राजनीति पर टिकी भाजपा के लिए यह अमोघ अस्त्र बन चुका है।
1984 में दो लोक सभा सीटें पाने वाली भाजपा के लिए मंदिर बड़ा मुद्दा बन गया। पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा से हिन्दुओं का बड़ा वर्ग सीधा जुड़ने लगा। बाबरी मस्जिद ढांचा ढहने के साथ ही भाजपा नेतृत्व ने राम मंदिर निर्माण को धुरी बना देश की राजनीति में उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया।
उस पर सबसे बड़ी अदालत ने मंदिर के पक्ष में फैसला सुना कर तमाम अड़चनों को जड़ से समाप्त कर दिया। आम चुनाव से ऐन पहले मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कर भाजपा ने सियासी दांव तो चला मगर उसकी अब की बार चार सौ पार की उम्मीद को करारा झटका लगा। बावजूद इसके सत्ताधारी दल राम का सहारा छोड़ने को कतई राजी नहीं है।
भक्तों और हिन्दुत्ववादियों को एकजुट रखने के लिहाज से अन्य प्राचीन मंदिरों के विवादों के अतिरिक्त राम का आसरा छोड़ने का साहस नहीं कर सकती। यह ऐसा मुद्दा है, जिसे अन्य राजनीतिक दल अब चाह कर भी अपना नहीं सकते।
हालांकि वे पटखनी देने के लिहाज से सॉफ्ट हिन्दुत्व की आड़ लेने में परहेज नहीं करते नजर आते। परंतु राम मंदिर को देश में अगले हजार सालों तक के रामराज की स्थापना का प्रतीक मानने वाली भाजपा के आगे भी चुनौतियां कम नहीं हैं।
रामराज के नाम पर अन्य मुद्दों से जनता का ध्यान ज्यादा देर भंग नहीं किया जा सकता। सच है कि राम सबके हैं और सब राम भरोसे ही हैं। फिर भी धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव की अनदेखी नहीं की जा सकती क्योंकि यह देश सबका है, इसलिए सबका भरोसा कायम रखना सरकार की जिम्मेदारी है।
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