राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे के बयान पर बवाल, फिर मांगी माफी
राज्यसभा में मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की एक टिप्पणी को लेकर सत्ता पक्ष के सदस्यों की तरफ से काफी हंगामा किया गया और बाद में खरगे ने आसन से माफी मांगते हुए कहा कि उनका यह बयान सरकार के लिए था जो क्षेत्र के आधार पर बांटने का प्रयास कर रही है।
![]() राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे के बयान पर बवाल |
उच्च सदन में, जब शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा शुरू होने जा रही थी, उसी समय विपक्षी सदस्यों ने मांग की कि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को तमिलनाडु सरकार के विरुद्ध की गयी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए।
प्रधान ने सोमवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत त्रि-भाषा नीति पर तमिलनाडु सरकार के रुख की आलोचना करते हुए उस पर आरोप लगाया था कि वह राजनीति के कारण छात्रों के जीवन को बर्बाद कर रही है।
इस टिप्पणी का मंगलवार को उच्च सदन में द्रमुक के सदस्यों ने कड़ा विरोध करते हुए प्रधान से माफी की मांग की। द्रमुक सदस्य काले वस्त्र पहनकर आज सदन में आये थे।
हंगामे के बीच, आसन ने खरगे को बोलने का मौका दिया। उन्होंने कहा कि आज सुबह जब वह बोलने के लिए खड़े हुए थे, उस समय शिक्षा मंत्री सदन में मौजूद नहीं थे।
इस पर उपसभापति हरिवंश ने उनसे कहा कि इस समय शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा होनी है और खरगे को यह होने देना चाहिए। इसके जवाब में खरगे ने कहा कि उनके दल के सदस्य चर्चा के लिए तैयारी करके आए हैं।
इसके बाद उन्होंने एक ऐसे शब्द का प्रयोग किया जो असंसदीय था। इस शब्द का विरोध करते हुए सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने आसन के प्रति बहुत गलत भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने कहा कि इसकी सभी को निंदा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को अपनी इस टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए तथा उस वाक्यांश को सदन की कार्यवाही से निकाला जाना चाहिए। इसके बाद खरगे ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उन्होंने आसन के प्रति यह टिप्पणी नहीं की है और यदि उन्हें ऐसा लगा हो तो वह इसके लिए खेद व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी सरकार के प्रति थी।
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