ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज से मिले कई सबक
भारत करीब एक दशक बाद ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज हार गया। ऋषभ पंत की आक्रामक पारी से भारत द्वारा सिडनी टेस्ट में 162 रन का लक्ष्य देने पर एक बार तो लगा कि भारत मैच जीतकर सीरीज बराबर कराकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी अपने पास रख सकता है, लेकिन महत्त्वपूर्ण मौके पर जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में इस काम को अंजाम नहीं दिया जा सका और भारत सीरीज हार गया।
ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज से मिले कई सबक |
भारत को इस सीरीज से एक सबक तो यह मिला है कि स्टार कल्चर को तिलांजलि देने की जरूरत है। इसके लिए सबसे जरूरी टीम का चयन खिलाड़ियों की छवि के बजाय प्रदर्शन के आधार पर करने की जरूरत है। अगर कोई भी दिग्गज खिलाड़ी लगातार असफल हो रहा है तो अन्य खिलाड़ियों पर फोकस करने की जरूरत है।
अभी हमारे यहां हो यह रहा कि कुछ दिग्गज खिलाड़ी बिना रन बटोरे लगातार खेले चले जा रहे हैं। पर इन खिलाड़ियों को इस बात का अहसास होता कि सही प्रदर्शन नहीं किया तो बाहर होने का खतरा बनेगा, तो वे दबाव में आकर रंगत पाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। इसके साथ ही खिलाड़ियों के अंतरराष्ट्रीय डय़ूटी पर नहीं होने पर घरेलू क्रिकेट खेलने का नियम बनाया जाना चाहिए। ऐसा करके एक तो उन्हें अपनी तकनीकी खामियों पर काम करने का मौका मिलेगा।
साथ ही दिग्गजों के साथ खेलने से युवाओं को प्रोत्साहन मिलेगा। भारत को अगली टेस्ट सीरीज जून-जुलाई में इंग्लैंड के खिलाफ उनके घर में खेलनी है। इसमें अभी पर्याप्त समय है, इसलिए टीम की भविष्य की रणनीति पर गंभीर मंथन करने की जरूरत है। इस दौरे पर बुरी तरह से असफल रहे कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली से भविष्य को लेकर फैसला करने की उम्मीद है। मुख्य कोच गौतम गंभीर का यह कहना सही है कि इन दोनों को अपने बारे में फैसला खुद ही करना होगा।
यह सही है कि इन दोनों खिलाड़ियों ने देश को तमाम उपलब्धियां दिलाई हैं, इसलिए कोई भी फैसला इनके सम्मान को ध्यान में रखकर करना चाहिए पर टीम हित को नहीं भुलाना चाहिए। इस दौरे पर बुमराह का साथ निभाने वाले गेंदबाजों की कमी खली। भारत यदि फिर से दबदबा बनाना चाहता है तो बुमराह जैसे कुछ अन्य गेंदबाज होना बेहद जरूरी है। इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि क्या टीम का सपोर्ट स्टाफ कारगर है या बदलने की जरूरत है।
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