सुविधा और पर्यावरण हित

Last Updated 06 Jan 2025 12:37:09 PM IST

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने होलोग्राम आधारित रंग कोड वाले स्टीकर को अनिवार्य बनाने पर विचार करने को कहा है।


सुविधा और पर्यावरण हित

शीर्ष अदालत ने 2018 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकार किया था जिसमें दिल्ली-एनसीआर इलाके में पेट्रोल-सीएनजी का इस्तेमाल करने वाले वाहनों में होलोग्राम आधारित अलग-अलग रंग के स्टीकर लगाने की परिकल्पना की गई थी। इनमें वाहन के पंजीकरण की तारीख भी शामिल होनी थी। अदालत के आदेश के बाद केंद्र ने होलोग्राम आधारित स्टीकर की योजना को कानूनी मान्यता देने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1989 के नियम 50 और उच्च सुरक्षा पंजीकरण प्लेट आदेश, 2001 में संशोधन किया।

एनसीआर में हर साल सर्दियों में वायू प्रदूषण की बढ़ती समस्या को देखते हुए सख्त कदम उठाने की जरूरत बढ़ती जा रही है। एनसीआर में उप्र, राजस्थान, हरियाणा शामिल हैं। देश में 2022 में कुल पंजीकृत वाहनों की संख्या साढ़े पैंतींस करोड़ के करीब थी, जो इन दो सालों में तीव्र गति से बढ़ी है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क होने के कारण परिवहन उत्सर्जन से होने वाला प्रदूषण तेजी से बढ़ता जा रहा है।

ये वहान पेट्रोल, डीजल और सीएनजी के अतिरिक्त मेथनॉल, ईथनॉल, ईधन सेल हाइड्रोजन, एलएनजी, एलपीजी और सौर से भी चालित हैं। सबके लिए जरूरी है विशेष पहचान। इस स्टीकर के अलग-अलग रंग दूर से इनके ईधन के संकेतक बन सकेंगे। देश के कई शहरों में वायु प्रदूषण जानलेवा स्तर तक पहुंचता है जिसमें सुधार लाने के प्रयास आवश्यक होते जा रहे हैं परंतु बार-बार नये नियम लाद कर जनता से वसूली करना भी सरकारी विभागों की उगाही का जरिया बन चुका है।

देश में सबसे बड़ी संख्या दो-पहिया वाहनों की 2.95 लाख बताई जाती है जो सड़क सुरक्षा के साथ ही खराब हवा में सांस लेने को भी मजबूर हैं। प्रदूषणजनित रोगों के अतिरिक्त सड़क हादसों पर लगाम लगाने में सरकारी तंत्र बुरी तरह असफल है।

बात भले ही नंबर प्लेट बदलने की हो या किसी तरह के स्टीकर लगाने की, सरकारी स्तर पर ऐसे प्रयास होने चाहिए कि वाहन पंजीकरण के दरम्यान ही इन सबका एकमुश्त शुल्क वसूला जा सके। न कि बार-बार चालान काट कर वाहन चालकों से वसूली चालू की जाए। इससे न सिर्फ जनता परेशान होती है, बल्कि सरकारी संसाधनों और यातायात पुलिस का काम भी बढ़ जाता है। सुविधाओं या नियमों को लागू करने की भी संयमित व्यवस्था जरूरी है।



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