शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर सवाल
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत को एक कूटनीतिक संदेश भेज कर अब्दुस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है।
शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर सवाल |
भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में सीमाओं पर उग्रवाद और आतंकवाद से निपटने के लिए प्रत्यर्पण संधि हुई थी। दोनों देशों ने वांछित भगोड़ों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया को और अधिक सहज बनाने के उद्देश्य से 2016 में संधि को संशोधित किया। लेकिन दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि लागू होने का यह अर्थ नहीं है कि भारत शेख हसीना को अभियोजन का सामना करने के लिए बांग्लादेश की सरकार को सौंप देगा।
इस संधि में से प्रावधान हैं, जिसके आधार पर भारत शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग को ठुकरा सकता है। संधि का अनुच्छेद 8 में यह प्रावधान है कि यदि आरोप भले ही राजनीतिक प्रकृति का है, लेकिन न्याय के हित में सद्भावना पूर्ण नहीं लगाया गया है अथवा यदि इसमें सैन्य अपराध शामिल हैं, जिन्हें सामान्य अपराधी कानून संहिता के तहत अपराध नहीं माना जाता है तो इस स्थिति में प्रत्यर्पण की मांग को अस्वीकार किया जा सकता है।
भारत को इस आधार पर शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग को अस्वीकार कर देना चाहिए। वास्तव में बांग्लादेश का वर्तमान सत्ता तंत्र स्वयं में वैध नहीं है। वहां अगस्त की शुरु आत में छात्रों को मोहरा बनाकर इस्लामी कट्टरपंथियों ने शेख हसीना की सरकार को अवैध तरीके से बेदखल कर दिया।
इस पूरे घटनाक्रम में अमेरिका, पश्चिमी देश और वहां की सेना ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। कहने के लिए अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद युनूस एक उदारवादी और लोकतांत्रिक व्यक्ति हैं, लेकिन वास्तविक अथरे में वह एक कठपुतली हैं जो इस्लामी कट्टरपंथियों के इशारे पर नाच रहे हैं।
आज के आधुनिक युग में लोकतंत्र के प्रतिष्ठित मूल्य समानता, धर्मनिरपेक्षता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि में धार्मिंक कट्टता का कोई स्थान नहीं है। जिन कट्टरपंथी तत्वों से बांग्लादेश की वर्तमान सत्ता निर्मिंत हुई है उसे हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
बांग्लादेश की धार्मिंक अल्पसंख्यक विरोधी रु झान ने आखिर में अमेरिका की भी चिंता बढ़ा दी है। वहां के सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने यूनुस से हिन्दुओं के विरुद्ध होने वाली हिंसा को तुरंत रोकने का आग्रह किया है। ये सभी ऐसे कारण हैं जो हसीना के प्रत्यर्पण को ठुकराने के पर्याप्त आधार उपलब्ध कराते हैं।
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