डोनाल्ड ट्रंप की बेचैनी
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में 20 जनवरी, 2025 को शपथ लेंगे लेकिन उन्होंने अभी से अपनी नीतियों और कार्यक्रमों पर अमल करना शुरू कर दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप की बेचैनी |
ट्रंप ने अपने मंत्रिमंडल में ऐसे लोगों का चयन किया है जो घरेलू एवं विदेश मोर्चे पर उनकी नीतियों से सहमत हैं। अमेरिका की घरेलू आर्थिक नीतियों का दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ता है। वह अपने चुनाव सभाओं में कहा करते थे कि वह अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए टैरिफ का इस्तेमाल करेंगे।
ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों से आने वाले सामानों पर 25 फीसद टैरिफ लगाने की घोषणा करके इन देशों की बेचैनी बढ़ा दी है। आर्थिक नीतियों का इस्तेमाल राजनीतिक और रणनीतिक लक्ष्य हासिल करने के लिए भी किया जाता है। यदि इन देशों से आने वाले सामानों पर आयात शुल्क बढ़ाते हैं तो यह इनके खिलाफ एक रणनीतिक कदम माना जाएगा।
ट्रंप यहीं पर नहीं रुके, बल्कि अपनी संरक्षणवादी नीतियों को विस्तार देते हुए ब्रिक्स देशों को भी चेतावनी दी है कि वे डॉलर का इस्तेमाल बंद करके नई करंसी लॉन्च करते हैं तो ब्रिक्स देशों पर 100 फीसद टैरिफ लगाया जाएगा। ब्रिक्स की अफ्रीका में संपन्न शिखर वार्ता में ब्राजीली राष्ट्रपति लूला डिसिल्वा ने ब्रिक्स करंसी का सुझाव दिया था।
ब्रिक्स करंसी के जरिए विश्व व्यवस्था पर वर्चस्व कायम करने वाले अमेरिकी डॉलर का दबदबा खत्म हो सकता है। अमेरिका और पश्चिमी देशों के घटते प्रभाव के कारण विभिन्न महाद्वीपों के अनेक देश ब्रिक्स में शामिल होना चाहते हैं। जाहिर है कि ब्रिक्स अमेरिका के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है।
ब्रिक्स की संभावित करंसी को लेकर ट्रंप की बेचैनी समझी जा सकती है। ट्रंप इस खतरे को अच्छी तरह समझ रहे हैं। हालांकि दुनिया में नई करंसी का प्रचलन बहुत जटिल और दुरुह प्रक्रिया है। इसी बात को ध्यान में रखकर ब्रिक्स देशों ने तय किया है कि फिलहाल नई करंसी के स्थान पर विभिन्न देशों की राष्ट्रीय करंसी में आपसी व्यापार किया जाए।
लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि यदि अमेरिका आपात शुल्क में बढ़ोतरी करता है तो उसके सहयोगी यूरोपीय देशों पर भी इसका विपरीत असर पड़ेगा। बड़ा सवाल है कि क्या ट्रंप अपने सहयोगी देशों को नाराज करके आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा को लागू कर पाएंगे। उनका पहला कार्यकाल विवादों से भरा हुआ था। क्या डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल भी उनकी तुनकमिजाजी के लिए याद किया जाएगा।
Tweet |