पुतिन का भारत प्रेम
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जिन शब्दों में प्रशंसा की है उसे कूटनीतिक क्षेत्र में भारत की विदेश नीति की बड़ी सफलता माना जा रहा है।
पुतिन का भारत प्रेम |
अंतरराष्ट्रीय राजनीति के कुछ जानकार इसे संघषर्रत विश्व की एक विशिष्ट घटना बता रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की जमकर शरण करते हुए कहा है कि भारत का नेतृत्व अपने हितों को प्राथमिकता देने की नीति पर केंद्रित है और प्रधानमंत्री मोदी का ऐसा ही एक कार्यक्रम है ‘मेक इन इंडिया’। इसके चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति मजबूत हुई है। वास्तव में राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन रूस संघर्ष के बाद भारत के और करीब आ गए हैं।
दूसरी और प्रधानमंत्री मोदी भी रूस के साथ और अधिक मजबूत संबंध बनाना चाहते हैं। श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1970 के दशक में ऐसी ही रणनीति अपनाई थी। भारत ने तत्कालीन सोवियत संघ के साथ मैत्री संधि की थी जिसके कारण ‘बांग्लादेश मुक्ति संग्राम’ के समय भारत अमेरिका की चुनौती का सामना कर सका। लेकिन दोनों देशों के बीच पांच दशक पुराना संबंध सैन्य और रणनीतिक सहयोग पर आधारित जो अब अर्थ और कारोबार की दिशा में बढ़ने का संकेत दे रहा है।
पुतिन मोदी की घरेलू और विदेशी नीतियों से इतने अधिक प्रभावित हैं कि उन्होंने भारत में विदेशी निवेश बढ़ाने की घोषणा कर दी है। पुतिन ने 15वें वीटीबी निवेश फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की ‘इंडिया फस्र्ट’ और ‘मेक इन इंडिया’ से हम बेहद प्रभावित हैं और यहां अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए तैयार हैं। पुतिन का विश्वास है कि भारत में निवेश करना लाभदायक है।
रूसी कंपनी रोसनेफ्ट ने हाल ही में भारत में 20 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। राष्ट्रपति पुतिन की घोषणा ‘मेक इन इंडिया अभियान’ के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। पुतिन के कथन का भारत चीन-संबंधों पर भी सीधा असर पड़ेगा। पुतिन का भारत के प्रति रुख से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भारत के लिए वास्तविक रक्षा कवच रूस ही है। भारत यह भरोसा कर सकता है कि पुतिन चीन को भारत के विरु द्ध कोई सैन्य दुस्साहस करने की अनुमति नहीं देंगे।
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