प्रदूषण की मार को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
प्रदूषण की मार से अभी तक दिल्ली-एनसीआर संभल नहीं सकी है। हां, तीन-चार दिनों से धूप खिलने से नि:संदेह मौसम में सुधार तो हुआ है।
प्रदूषण की मार को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती |
यही वजह है कि सर्वोच्च अदालत ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप-4) कम-से-कम 2 दिसम्बर तक लागू रहेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि स्कूलों को छोड़कर सभी ग्रैप-4 उपाय सोमवार तक जारी रहेंगे। दरअसल, प्रदूषण का संकट इतना विकट और जटिल हो चुका है कि किसी भी तरह की सख्ती, कार्रवाई, योजना और रणनीति अपने मुकाम तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती है।
चाहे बात पराली जलाने की हो या निर्माण कार्य की या भारी वाहनों (डीजल वाहन) की; इस मसले पर कोई ठोस काम नहीं हो सका है। पराली का मामला जहां राज्य सरकारों की हद में आता है तो निर्माण कार्य पर रोक लगाने से विकस कार्य के अवरुद्ध होने का खतरा दरपेश है। यही वजह है कि किसी एक पर निर्णय लेने की स्थिति में दूसरे पर असर पड़ता है। हालांकि अदालत ने सुनवाई के दौरान यह कहा कि पराली जलाने, ट्रकों के प्रवेश और पटाखों पर प्रतिबंध जैसे मुद्दों का परीक्षण किया जाएगा।
कोर्ट ने यह जरूर माना कि ऐसी मशीनरी का होना बेहद जरूरी है जो हमें पराली जलाने के बारे में सातों दिन चौबीसों घंटे डाटा भेज सके। यही मूल कारण है कि समस्या बेहद खतरनाक स्थिति में है और राज्य सरकारें किसानों पर कार्रवाई करने में बहुत धीमे है। यानी प्रदूषण के घनघोर संकट का दीर्घकालिक समाधान हर हाल में तलाशने की जरूरत है। अदालत ने इस बात पर नाराजगी जताई कि ग्रैप-4 के प्रतिबंधों को प्रभावी तरीके से लागू करने में अधिकारी विफल रहे।
स्वाभाविक है कि कोर्ट की भौहें अधिकारियों की लापरवाही पर टेढ़ी हुई। यही कारण है कि अदालत ने केंद्र सरकार की उस दलील को भी दरकिनार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि वायु गुणवत्ता सूचकांक में कमी आई है और यह प्रबंधनीय सीमा में है। कुल मिलाकर शीर्ष अदालत प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार के रवैये और अधिकारियों की हीलाहवाली से खासी नाराज दिखी। वास्तव में अगर प्रदूषण जैसी जानलेवा स्थिति से पार पाना है तो हर किसी को ईमानदारी के साथ काम करना होगा। यह एक दिन की दुारियां नहीं है।
प्रदूषण का कहर दिल्ली-एनसीआर को करीब तीन-चार महीने प्रभावित करती है। तमाम बीमारियों और उससे होने वाले नुकसान को अगर हमें कम करना है तो नियमों का अनुशासित तरीके से पालन करने में ही सभी की भलाई है।
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