इजरायल-हिज्बुल्लाह के बीच युद्ध विराम समझौते की घोषणा. अब गाजा की बारी
इस्राइल और लेबनान के हिज्बुल्लाह के बीच साठ दिनों के युद्ध विराम समझौते की घोषणा हो गई है। समझौते से पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति और स्थिरता की संभावना प्रबल हो गई है।
इजरायल-हिज्बुल्लाह के बीच युद्ध विराम समझौते की घोषणा. अब गाजा की बारी |
करीब दो महीनों से हिज्बुल्लाह के खिलाफ इस्राइल के हमले तेज हो गए थे। हमलों में लेबनान में करीब 8700 लोग मारे गए और लाखों लोग बेघर हो गए। इस्राइली सैनिकों ने हिज्बुल्लाह के समूचे नेतृत्व को समाप्त कर दिया जिसमें उसका सर्वोच्च नेता हसन नसरुल्लाह भी शामिल था। लेकिन ईरान समर्थित हिज्बुल्लाह ने पिछले दो महीनों से इस्राइल के उत्तरी हिस्से में रॉकेट दागने शुरू किए थे जिसमें वहां का जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। हजारों यहूदियों को विस्थापित होना पड़ा।
स्थानीय अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई और बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए। इसलिए युद्धरत दोनों पक्ष संघर्ष से बाहर निकलने और राहत की तलाश में थे। इस्राइल एक साथ कई मोचरे पर लड़ाई लड़ रहा था। गाजा में उसका सैनिक अभियान चल रहा है। ईरान के साथ युद्ध कभी भी छिड़ सकता है। इस्राइल के सैनिक लगातार संघर्ष के बाद मानसिक थकान महसूस करने लगे हैं। मोचरे पर संघर्ष जारी रखने के लिए इस्राइल को अतिरिक्त सैनिकों की जरूरत है, जो नहीं मिल पा रहे।
हालांकि इस्राइल ने हिज्बुल्लाह और हमास की कमर तोड़ दी है। कहा जा सकता है कि उसने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है। युद्ध विराम समझौते के बाद अब गाजा में युद्ध विराम समझौते और बंधकों की रिहाई में मदद मिल सकती है जो समस्या की जड़ है। वास्तविकता है कि इस्राइल को अपनी सुरक्षा का पूरा अधिकार है, लेकिन सवाल है कि हमास जैसे आतंकी संगठन की अमानवीय कार्रवाई के लिए क्या गाजा की समूची आबादी को दंडित करना उचित है।
इस सवाल पर इस्राइल के नेतृत्व को गंभीरता से विचार करना चाहिए नहीं तो युद्ध अनवरत चलता रहेगा और न इस्राइल सुरक्षित रह पाएगा और न ही फिलिस्तीन खत्म होगा। इसलिए इस्राइल को गाजा में शांति स्थापित करने के लिए आगे आने की जरूरत है।
भारत ने इस्राइल-हिज्बुल्लाह के बीच युद्ध विराम का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत हमेशा से संयम बरतने और संकट के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति में विश्वास करता है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति के कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस युद्ध विराम समझौते सें गाजा को शामिल किए बगैर कहना मुश्किल है कि यह समझौता कितना टिकाऊ होगा।
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