भारत के सिद्धांतों का विस्तार

Last Updated 21 Nov 2024 11:45:00 AM IST

ब्राजील के रियो द जनेरियो में हुए जी-20 के दो दिवसीय वाषिर्क शिखर सम्मेलन को लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी ने बहुत सी उम्मीदें संजोई थीं, लेकिन दुनिया के सामने मौजूद समस्याओं और चुनौतियों के समाधान में सम्मेलन को बहुत अधिक सफलता नहीं मिली।


भारत के सिद्धांतों का विस्तार

यूक्रेन संघर्ष और गाजा त्रासदी पूरी मानवता के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। सम्मेलन के बाद संयुक्त वक्तव्य जारी हुआ जिसमें युद्धरत गाजा के लिए अधिक सहायता और पश्चिम एशिया एवं यूक्रेन में शत्रुता समाप्त करने का आह्वान किया गया है।

आशा बंधी थी कि दुनिया के नेता कूटनीति और वार्ता के जरिए गाजा और यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने की दिशा में सफल होंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वास्तविकता यह है कि पिछले दो वर्षो के दौरान परस्पर विरोधी मतभेद इतने बढ़ गए हैं कि बीच का कोई रास्ता खोजने की संभावना बहुत कम हो गई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का जी-20 का आदर्श वाक्य (थीम) ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ उतना ही प्रासंगिक है, जितना पिछले साल था।

लेकिन हकीकत यह है कि धरती बंटी है, परिवार में कलह है, और महत्त्वाकांक्षा के कारण समान भविष्य को नजरंदाज कर दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्तमान के सबसे ज्वलंत मुद्दे को उठाते हुए कहा कि वैश्विक संघर्ष के कारण खाद्य, ईधन और उर्वरक संकट से ग्लोबल साउथ के विकासशील और अर्धविकसित देश सबसे अधिक प्रभावित हैं। लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देशों के नेता युद्ध रोकने की बजाय हथियारों की आपूर्ति करने में लगे हुए हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन संघर्ष को रोकने के पक्ष में हैं, लेकिन पश्चिम एशिया में इस्रइल को अधिक समर्थन देने तथा चीन के खिलाफ सख्त आर्थिक और सैनिक रवैया अपनाने के समर्थक हैं। ऐसे में संयुक्त वक्तव्य में युद्ध समाप्त करने का आह्वान मात्र औपचारिकता है।

शिखर सम्मेलन की शुरुआत में ब्राजील के राष्ट्रपति लूईस इनासियो लूला दा सिल्वा ने भूख और गरीबी से लड़ने के अभियान का आह्वान किया। इस अभियान को पहले ही करीब 80 देशों का समर्थन हासिल हो चुका है।

जाहिर है कि सम्मेलन की यह एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि इस अभियान का बीज भारत ने पिछले साल जी-20 की अध्यक्षता करते हुए रोपा था। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में खाद्य सुरक्षा के लिए अपनाए गए सिद्धांतों का विस्तार बताया।



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