डोनाल्ड ट्रंप का भारत प्रेम

Last Updated 14 Nov 2024 12:30:59 PM IST

अमेरिका में राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी टीम का गठन करना शुरू कर दिया है। अभी तक जिनको जिम्मेदारी सौंपी गई है, उससे जाहिर होता है कि अमेरिका की घरेलू और विदेश नीति में बड़े बदलाव हो सकते हैं।


डोनाल्ड ट्रंप का भारत प्रेम

दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति ईलान मस्क और भारतवंशी उद्योगपति विवेक रामास्वामी डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी का नेतृत्व करेंगे। यह नया विभाग है जिसे ट्रंप ने ‘सेव अमेरिका’ अभियान के लिए जरूरी बताया है। ट्रंप के मुताबिक, यह विभाग नौकरशाही, अतिरिक्त नियम-कानून को खत्म करने, अनावश्यक खचरे में कटौती करने और संघीय एजेंसियों के पुनर्गठन का काम करेगा। विवेक परंपरावादी और शाकाहारी हिन्दू हैं।

उन्होंने अमेरिका की वर्तमान विभाजनकारी राजनीति और आंतरिक संघर्ष से उबरने के लिए 10 सूत्री गुरूमंत्र दिया था। उनका मानना है कि नौकरशाही के दबदबे के लिए कोई स्थान नहीं है और संघीय जांच एजेंसी एफबीआई को भंग करने की बात कही थी। विवेक रामास्वामी को ट्रंप ने देशभक्त अमेरिकी बताया है। फ्लोरिडा के भारत समर्थक सीनेटर माकरे रूबियो को विदेश मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है। रूबियो की छवि भारत समर्थक और चीन-विरोधी है। वे चीन के सामान पर टैक्स बढ़ाए जाने की मांग कर चुके हैं।

मांग स्वीकार कर ली जाती है तो चीन के खिलाफ बड़ा रणनीतिक कदम होगा और जिसका अमेरिका सहित यूरोपीय देशों पर विपरीत असर पड़ेगा। रूबियो ने इस साल सीनेट में एक विधेयक पेश किया था जिसका मजमून भारत-अमेरिकी संबंध मजबूत करना और आतंकवाद के प्रसार के कारण पाकिस्तान को सुरक्षा मदद रोकना था। भारत समर्थक और चीन विरोधी रुख रखने वाले फ्लोरिडा के सांसद माइक वॉल्टज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया है।

वह  इंडिया कॉक्स समूह से जुड़े हैं जो भारत-अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने की वकालत करता है। ट्रंप प्रशासन  में भारतीय मूल और भारत समर्थक लोगों को शामिल किए जाने से जाहिर होता है कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी।

लेकिन ट्रंप चीन के प्रति क्या रुख अपनाते हैं, यह देखने वाली बात होगी। वह चीन को अमेरिका के लिए सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं और विदेश मंत्री बनाए गए माकरे रूबियो सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन अशांति फैलाने का दोषी है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि ट्रंप प्रशासन चीन के प्रति सख्त रवैया अपना सकता है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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