डिग्री कोर्सेज को ओपन, डिस्टेंस या ऑनलाइन मोड से चलाने पर प्रतिबंध
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एमफिल या पीएचडी डिग्री कोर्सेज को ओपन या डिस्टेंस या ऑनलाइन मोड से चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत 18 कोर्सेज को भी ओपन डिस्टेंस मोड या ऑनलाइन मोड से चलाने पर रोक लगा दी है।
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फीजियोथेरेपी, फाम्रेसी, नर्सिग, डेंटल, आर्किटेक्चर, कानून, कृषि, हॉर्टिकल्चर, होटल प्रबंधन, कैटरिंग, पाक विज्ञान, दृश्य कला, योगा जैसे कोर्स अब ऑनलाइन या डिस्टेंस से नहीं चलाए जा सकेंगे। डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी या मास्टर ऑफ फिलॉसफी उन्नत शोध डिग्री योग्यता हैं।
उच्चतम शिक्षा पाने वाले चुनिंदा छात्र ही इन अति विशिष्ट कोर्स तक पहुंचते हैं। सरकार ने दूरदराज या अन्य क्षेत्रों में व्यस्त छात्रों के लिए घर से बैठ कर ये शिक्षा लेने की व्यवस्था की थी। मगर विश्वविद्यालयों की धांधली या निरंतर मिलने वाली शिकायतों के चलते यूजीसी को सख्त निर्णय लेने पड़ते हैं।
प्रति वर्ष तमाम विश्वविद्यालयों को प्रतिबंधित करने या पाबंदियां लगाने संबंधी नोटिस जारी करता रहता है। कहना गलत नहीं है कि कुछ जरूरतमंद और उच्चतम शिक्षा प्राप्त करने को इच्छुक छात्रों को इससे असुविधा भी हो सकती है।
आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के ढेरों विद्यार्थी हैं, जो कोई रोजगार या नौकरी करते हुए अतिरिक्त शिक्षा प्राप्त करने के लिहाज से ओपन या ऑनलाइन कोर्स में दाखिला लेने को मजबूर होते हैं। ऐसे जरूरतमंदों के लिए भी आयोग को रास्ता सुझाना चाहिए।
आयोग का काम मान्यता की जांच करने की सलाह पर ही खत्म नहीं हो जाता। उसे सख्तीपूर्वक ऐसे किसी भी विविद्याल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए क्योंकि इससे न केवल छात्रों का भविष्य चौपट होता है। बल्कि उनका बहुत सारा पैसा भी बर्बाद हो जाता है।
विज्ञापनों द्वारा ऐसे संस्थान जब प्रचार कर रहे होते हैं, उसी वक्त इन पर कार्रवाई की जानी चाहिए। दूसरे, दुनिया जब तकनीक और संचार व्यवस्था द्वारा शिक्षा को सुविधाजनक बना रही हैं, ऐसे में विवि की लापरवाही का खमियाजा छात्रों को भुगतने से बचाना भी आयोग का ही जिम्मा है।
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