बिला वजह विवाद

Last Updated 11 Nov 2024 12:53:48 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान से वंचित करने वाले 1967 के अजीज बाशा केस को पलटते हुए अल्पसंख्यक संस्थान घोषित करने का मसला रेग्युलर बेंच को दे दिया।


अदालत ने कहा कि कोई संस्थान कानून के तहत बना है तो भी अल्पसंख्यक संस्थान होने का दावा कर सकता है। अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रशासन करने के अधिकार से संबंधित है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2006 के अपने फैसले मेंएएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना था जिसके खिलाफ सबसे बड़ी अदालत में याचिका दायर की गई थी। 2019 में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने इसे सात जजों की पीठ को भेज दिया था।

बीती फरवरी में यह फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। 1967 में अजीज बाशा बनाम भारत गणराज्य मामले में शीर्ष अदालत ने भी एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा खत्म कर दिया था। कहा कि कानून के मुताबिक स्थापित संस्थान अल्पसंख्यक होने का दावा नहीं कर सकता पर 1981 में सरकार ने एएमयू एक्ट में संसोधन कर विवि का यह दर्जा बरकरार कर दिया। एएमयू को लेकर समय-समय पर विवाद होता रहा है।

आजादी की क्रांति का हिस्सा रहे सर सैय्यद अहमद खान ने इसके गठन में मुख्य भूमिका निभाई थी। समान शिक्षा के मामले में पिछड़ते मुसलमानों की स्थिति सुधारने की मंशा से उन्होंने तमाम तरक्की पसंद मुसलमानों के साथ मिल कर इस विवि की नींव डाली थी। उनका सपना था कि देश के मुसलमान उच्च शिक्षा हासिल कर प्रतिष्ठित पदों कर काबिज हों। एएमयू में फिलवक्त सैंतीस हजार से अधिक छात्र पढ़ते हैं जिन्हें बगैर किसी जाति, पंथ, संप्रदाय या लिंग के भेदभाव के शिक्षा प्रदान की जा रही है।

हालांकि कुछ पाठय़क्रम सार्क और राष्ट्रमंडल देशों के छात्रों के लिए आरक्षित हैं। धार्मिक आधार पर देशवासियों को बांटने की राजनीति करने वालों के लिए यह करारा झटका हो सकता है जबकि उच्च शिक्षा प्राप्त करने को लालयित युवाओं को बेहतर शैक्षिक वातावरण देने के प्रयास होने चाहिए। शिक्षण संस्थानों को राजनीतिक विवादों से परे रखना चाहिए।

सवाल अल्पंख्यक शिक्षण संस्थान का नहीं है, बल्कि उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने का होना चाहिए जिसमें हमारे विश्वविद्यालय बुरी तरह से असफल हैं। विश्वविद्यालयों की वैश्विक रैंकिंग में फिसड्डी साबित होने के बावजूद हमारा ध्यान उधर नहीं है जो छात्रों के बेहतरीन भविष्य के लिए बेहद जरूरी है।



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