कनाडा की असमंजसता
कनाडा ने विद्यार्थियों के बीच सबसे अधिक पसंद की जाने वाली ‘स्टूडेंट डायरेक्ट स्कीम’ (SDS) शुक्रवार को एकाएक बंद कर दी। इस वजह से फास्ट-ट्रैक छात्र वीजा की सुविधा समाप्त हो गई है जिससे कनाडा में अध्ययन करने के इच्छुक भारत सहित अनेक देशों के हजारों विद्यार्थियों को झटका लगा है।
कनाडा की असमंजसता |
एसडीएस का उद्देश्य भारत, चीन और फिलीपींस समेत 14 देशों के छात्रों के वीजा आवेदन सुव्यवस्थित करना था। कनाडा के आवासन, शरणार्थी और नागरिकता विभाग की ओर से यह स्कीम 2018 में शुरू की गई थी। दरअसल, हाल के समय में कनाडा की ट्रूडो सरकार भ्रमित दिखलाई पड़ी है, और कनाडा की धरती से खालिस्तानी समर्थक तत्वों द्वारा की जा रही हिंसात्मक घटनाओं ने उसे असमंजस में डाल रखा है।
मनबढ़ तत्वों ने बीते कुछ समय से हिन्दू मंदिरों पर हमले किए और मंदिर में दर्शनार्थ आए लोगों के साथ भी अभद्र व्यवहार किया है। वोट की राजनीति के चलते कनाडा अपने यहां विद्वेष फैलाने वालों तत्वों पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। ऐसे तत्वों के तुष्टिकरण के क्रम में उसने खालिस्तानी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ होने और इस बाबत कोई सबूत न देकर भारत के साथ अपने संबंधों को भी खासा बिगाड़ लिया है। भारत ने अपने राजनयिक वहां से बुला लिए।
इन हालात में गफलत में पड़े कनाडा के सामने अप्रवासियों की बहुत ज्यादा संख्या ने भी उसे ऊहापोह की स्थिति में ला दिया है। कई वर्षो से वह अपने यहां अप्रवासियों की संख्या में भारी कमी करने पर विचार कर रहा है।
कनाडा लंबे समय से नये लोगों का स्वागत करने में गर्व महसूस करता रहा है लेकिन इस दौरान ऐसे तत्व भी वहां पहुंच गए जो किसी भी शांतिप्रिय समाज के लिए वांछनीय नहीं कहे जा सकते। कनाडा की दिक्कत यह है कि ऐसे तत्व वहां के नागरिक बनकर वोट बैंक का हिस्सा बन चुके हैं।
इस तरह कनाडा सरकार को उनके तुष्टिकरण पर विवश होना पड़ रहा है। अप्रवासी इतने बढ़ चुके हैं कि वहां यह बड़ा विवादास्पद मुद्दा बन गया है। वहां अक्टूबर 2025 से पहले संघीय चुनाव होने हैं, और एक सर्वेक्षण ने ट्रूडो सरकार को संशय में डाल दिया है।
सर्वेक्षण के मुताबिक, जनसंख्या का बड़ा हिस्सा अप्रवासियों की बहुत ज्यादा संख्या से खफा है। इसलिए गफलत में कनाडा छात्र वीजा बंद करने जैसे अप्रिय फैसले ले रहा है।
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