कनाडा में खालिस्तान समर्थकों पर निंदा के साथ कार्रवाई भी हो
कनाडा के साथ चल रहे विवादों के बीच ब्रैम्पटन शहर में खालिस्तान समर्थकों ने एक बार फिर हिन्दू मंदिर में घुसकर श्रद्धालुओं को निशाना बनाया। बच्चों और महिलाओं को लाठी-डंडों से पीटा गया।
निंदा के साथ कार्रवाई भी हो |
भारतीय उच्चायोग की ओर से लगाए गए वीजा शिविर को भी निशाना बनाया। घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है, ‘मैं हिन्दू मंदिर पर हमले की कड़ी निंदा करता हूं। उम्मीद करते हैं कि कनाडा की सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और विधि का शासन कायम करेगी।’
प्रतिक्रिया से जाहिर होता है कि आने वाले दिनों कनाडा के प्रति भारत का रुख और सख्त होगा। पिछले वर्ष अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्वामी नारायण मंदिर को खालिस्तान समर्थक तत्वों ने निशाना बनाया था। मंदिर की बाहरी दीवारोां पर नारे लिखकर आतंकवादी भिंडरावाले को शहीद बताया गया था। सैनफ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में आगजनी की कोशिश की गई थी। भारतीय अधिकारियों की शिकायत पर दोषियों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई।
अमेरिका ऐसी भारत विरोधी गतिविधियों को गंभीरता से नहीं लेता। गौर करने वाली बात है कि बाइडन प्रशासन गुरपतवंत सिंह जैसे घोषित आतंकवादियों को संरक्षण दे रहा है तो कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर नागरकि स्वतंत्रता का हीरो बन गया है।
कनाडा में आपराधिक गैंगवार के चलते जो हत्याएं हुई हैं उनके लिए वह इन गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय भारतीय एजेंसियों को ही कठघरे में खड़ा कर रहा है। इन घटनाक्रम से जाहिर होता है कि अमेरिका की अगुवाई वाले ‘फाइव आईज’ देश भारत के खिलाफ सुनियोजित षडय़ंत्र रच रहे हैं। फाइव आईज एक तरह का नस्लवादी गुट है जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
इन देशों में अंग्रेज मूल के लोगों का वर्चस्व है और इनकी घरेलू और विदेश नीति एक जैसी है। किसी भी अन्य देश के बारे में यह गुट एक जैसा रवैया अपनाता है। इन दिनों इनकी भृकुटी भारत पर तनी हुई है। इन देशों को इस बात की भी परवाह नहीं है कि मुट्ठी भर खालिस्तानियों को बचाने के लिए वे दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के साथ संबंध क्यों खराब कर रहे हैं। हालांकि ट्रूडो ने हिन्दू मंदिर पर हमले की निंदा की है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उनकी सरकार को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। भारत की यही मांग है।
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