पंजाब सहित विभिन्न राज्यों के 104 अवैध प्रवासियों को लेकर अमेरिका का एक सैन्य विमान बुधवार दोपहर अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा। यह अमेरिका के ट्रंप प्रशासन की ओर से निर्वासित भारतीयों का पहला जत्था है।
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अवैध आव्रजन के कारण अमेरिका से निर्वासित 104 भारतीयों में शामिल पंजाब के लोगों के परिजनों ने बुधवार को कहा कि उन्होंने सुनहरे भविष्य की उम्मीद में अपने परिजन को अमेरिका भेजने के लिए भारी-भरकम राशि उधार ली, लेकिन अब इन लोगों को स्वदेश भेजे जाने के कारण उन्हें लगता है कि वह कर्ज के बोझ से कभी मुक्त नहीं हो पाएंगे।
परिजनों ने आरोप लगाया कि ट्रैवल एजेंट ने उनके परिजन को अमेरिका भेजने के लिए अनुचित तरीके अपनाए, जिससे वे अनजान थे। उन्होंने इन एजेंट के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
पंजाब सहित विभिन्न राज्यों के 104 अवैध प्रवासियों को लेकर अमेरिका का एक सैन्य विमान बुधवार दोपहर अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा। यह अमेरिका के ट्रंप प्रशासन की ओर से निर्वासित भारतीयों का पहला जत्था है। इसमें 33-33 लोग हरियाणा एवं गुजरात के, 30 पंजाब के, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के तथा दो चंडीगढ़ के हैं।
पंजाब के जिन 30 लोगों को निर्वासित किया गया है, उनमें छह कपूरथला के, पांच अमृतसर के, चार-चार पटियाला और जालंधर के, दो-दो होशियारपुर, लुधियाना, एसबीएस नगर के और एक-एक गुरदासपुर, तरनतारन, संगरूर, एसएएस नगर और फतेहगढ़ साहिब के हैं।
होशियारपुर जिले के ताहली गांव का रहने वाला हरविंदर सिंह (41) पंजाब से निर्वासित लोगों में शामिल है। वह लगभग आठ महीने पहले अमेरिका चला गया था। उसकी पत्नी कुलजिंदर कौर ने दावा किया कि एक ट्रैवल एजेंट ने हरविंदर को कानूनी तरीके से अमेरिका भेजने का वादा करके 42 लाख रुपये लिए।
कुलजिंदर ने कहा कि हालांकि, एजेंट ने हरविंदर को अमेरिका में प्रवेश के लिए प्रवासियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले अवैध और खतरनाक मार्ग से वहां भेजा। उसने बताया कि हरविंदर ने आखिरी बार 15 फरवरी को परिवार से संपर्क किया और बताया कि वह अमेरिकी सीमा में दाखिल हो चुका है।
कुलजिंदर के अनुसार, “उसके बाद कोई बातचीत नहीं हुई। हमें आज हरविंदर के निर्वासन के बारे में पता चला।”
उसने कहा, “बेहतर भविष्य की उम्मीद में, हमारे पास जो कुछ भी था, उसे हमने बेच दिया और एजेंट को भुगतान के लिए उच्च ब्याज दर पर पैसे उधार लिए। लेकिन उसने (एजेंट) हमें धोखा दिया। अब न केवल मेरे पति को निर्वासित कर दिया गया है, बल्कि हम भारी कर्ज के बोझ तले भी दब गए हैं।”
कुलजिंदर ने सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए ट्रैवल एजेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की अपील की।
होशियारपुर के दारापुर गांव में कर्ज के बोझ तले दबे सुखपाल (35) के परिवार को अपना भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है। पेशे से शेफ सुखपाल अक्टूबर 2024 में एक साल के ‘वर्क परमिट’ पर इटली गया था। उसके परिवार ने कहा कि वह इस बात से पूरी तरह से अनजान है कि सुखपाल कैसे अमेरिका पहुंचा।
सुखपाल के पिता प्रेम सैनी सरकारी स्कूल के अध्यापक रह चुके हैं। उन्होंने ‘पीटीआई-’ को बताया कि सुखपाल के वीजा के लिए सभी आवश्यक दस्तावेजों की व्यवस्था इटली में उनके रिश्तेदारों ने की थी।
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