ट्रेन को बे-पटरी करने वालों की साजिश का पर्दाफाश जरूरी
देश के कई हिस्सों में ट्रेन को बे-पटरी करने की साजिश वाकई चिंता का सबब है। आए दिन किसी-न-किसी इलाके से पटरी पर विस्फोटक सामग्री या लोहे के रॉड रखकर ट्रेन को पलटाने की खबरें सुर्खियों में है।
![]() साजिश का पर्दाफाश जरूरी |
एक दिन पहले मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में सेना के जवानों को ले जा रही ट्रेन में विस्फोट की कोशिश की गई थी। वहीं कानपुर में भी एक ट्रेन को गिराने की साजिश रची गई थी। इस तरह की घटनाओं से यात्रियों के मन में डर बैठ गया है जो नि:संदेह देश के लिए अच्छे संकेत तो कतई नहीं हैं।
हालांकि सरकार इसे लेकर सतर्क है और सख्ती से इसे कुचलने को लेकर बेहद गंभीर भी है। इसकी गहराई से तफ्तीश भी कराई जा रही है, मगर यक्ष प्रश्न यही कि आखिर देश भर में लाखों किलोमीटर में फैली रेल पटरियों पर क्या 24 घंटे निगरानी की जा सकती है? आखिर जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उन्हें ऐसी करतूतों के लिए कौन तैयार कर रहा है, इसकी फंडिंग कहां से हो रही और अब तक ऐसी कितनी घटनाओं को अंजाम दिया गया है, इसकी तह तक जाना सरकार के लिए निहायत जरूरी बन पड़ा है।
रोज-रोज ऐसी साजिशों का न केवल भंडाफोड़ होना चाहिए बल्कि ऐसा करने वालों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए जिसके बाद कोई भी शख्स ऐसा करने के बारे में सोचने से डरे। रेल परिचालन में पहले इस तरह की घटना कभी नहीं देखी गई।
हां, हादसे जरूर हुए मगर साजिश के तहत रेल पलटाने की इक्का-दुक्का खबरें ही सामने आई। मगर इस तरह का ट्रेंड वास्तव में खतरनाक है। यह भी देखा गया है कि ज्यादातर साजिश की खबरें उत्तर भारत से मिल रही है। लिहाजा, सरकार को अब ज्यादा तैयारी और सतर्कता के साथ इसके खिलाफ एक्शन लेना होगा। देश में रोजाना करीब 2.4 करोड़ से 2.5 करोड़ लोग सफर करते हैं। यह संख्या ऑस्ट्रेलिया जैसे देश की आबादी के बराबर है।
भारत में रेलवे का नेटवर्क दुनिया का चौथा सबसे बड़ा है। यहां रोजाना करीब 22,593 ट्रेनें चलती हैं, जिनमें से 13,452 ट्रेनें यात्रियों के लिए हैं। अब इतनी सारी ट्रेनों पर नजर रखना या उनकी चौकसी करना वाकई दुष्कर काम है। लेकिन यात्रियों की सुरक्षा और संपत्ति की रक्षा करने के लिए उपाय तलाशने जरूरी हैं। उम्मीद है कि रेल महकमा इस बारे में कुछ बेहतर करने के उपाय तलाश रहा होगा। देश के दुश्मनों को सबक सिखाना वक्त की मांग है।
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