हिंडनबर्ग मसला बेहद गंभीर, उचित नहीं ढिलाई

Last Updated 13 Aug 2024 01:27:06 PM IST

Hindenburg Research: अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिडनबर्ग ने कहा है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी पुरी बुच पर अदाणी समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी होने के आरोप के चलते देश में उबाल है।


हिंडनबर्ग मसला बेहद गंभीर, उचित नहीं ढिलाई

उन पर जो भी आरोप रिपोर्ट में लगाए गए हैं, माधवी ने इन्हें आधारहीन व चरित्र हनन का प्रयास बताया है। हिंडनबर्ग ने अपने जवाब में कहा कि बुच के जवाब से पुष्टि होती है कि उनका निवेश बरमुडा/मारीशस के फंड में था।

आरोप है कि गौतम अदाणी का भाई विनोद इन फंड्स के जरिए शेयरों की कीमत बढ़ाता था। इसे हितों के टकराव का बड़ा मामला माना जा रहा है। बुच व उनके पति धवल बुच ने संयुक्त बयान जारी कर इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए अपना जीवन व वित्तीय स्थिति को खुली किताब बताया है।

सेबी ने स्पष्टीकरण दिया है कि उसने अदाणी समूह के खिलाफ सभी आरोपों की विधिवत जांच की है। जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह पर शेयर मैनूपुलेशन समेत मनी लॉड्रिंग के आरोप लगाया थे, जिसे सेबी व सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच कर आरापों को खारिज कर दिया। सेबी ने उल्टा नोटिस भेजकर नियमों के उल्लंघन पर जवाब मांगा। इस पर हिंडनबर्ग ने सेबी पर धोखेबाजों को बचाने की बात की।

सवाल यह है कि बुच जिन कंपनियों से मुक्त होने का दावा कर रही हैं, उनमें उनकी 99 फीसद की हिस्सेदारी अभी है। यही नहीं अपने कार्यकाल के दरम्यान वह सिंगापुर यूनिट की सौ फीसद की हिस्सेदार भी रहीं। जिसे बाद में पति के नाम स्थांतरित कर दिया। उस यूनिट से उनको होने वाले लाभ का खुलासा अब तक नहीं हो सका है। बुच दंपति की नेटवर्थ बहरहाल दस मिलियन डॉलर आंकी गई है। अदाणी समूह द्वारा स्पष्टीकरण दिया गया है कि बुच से उनके कोई कारोबारी रिश्ते नहीं हैं।

उन्होंने अपने विदेशी होल्डिंग स्ट्रक्चर को पूरी तरह पारदर्शी बताया। इधर विपक्षी दलों ने इस विवाद के चलते केंद्र सरकार पर करारा प्रहार किया है। इसे नियामक की शुचिता के खिलवाड़ और मुनाफाखोरों को प्रश्रय देने वाला साबित किया जा रहा है।

सरकार को त्वरित कार्रवाई करते हुए यह स्पष्ट करना चाहिए कि इसमें किसी तरह की ढिलाई नहीं हुई है। दूसरे जब तक जांच पूरी तरह नहीं हो जाती, तब तक सेबी प्रमुख को नियामक की गतिविधियों से पृथक रखा जाए। यह मसला बेहद गंभीर है, देश की प्रतिष्ठा और शेयरधारकों के विश्वास को किसी तरह की चोट नहीं पहुंचनी चाहिए।



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