राम रहीम फिर बाहर
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को मंगलवार को 21 दिन की फरलो (अस्थायी रिहाई) दे दी गई। दुष्कर्म मामले में सजायाफ्ता राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहा है।
राम रहीम फिर बाहर |
नाबालिग से बलात्कार के दोष में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम बापू को भी सात दिन के लिए जेल से बाहर निकलने का मौका मिला है। अलबत्ता, इस दौरान वह पुलिस हिरासत में पुणे के एक अस्पताल में उपचाराधीन रहेगा। राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस बाबत अनुमति दी है।
सितम्बर, 2013 में गिरफ्तार किया गया आसाराम (83) हृदय संबंधी बीमारी से ग्रस्त है। आसाराम बापू को पुलिस हिरासत में इलाज की अनुमति दिया जाना हो सकता है कि किसी को न अखरे लेकिन डेरा सच्चा प्रमुख को फरलो दिए जाने से यकीनन कोई भी सहज न होगा। दुष्कर्म का दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख चुनाव से कुछ दिन पहले ‘फलरे’ पर छोड़ा जाता रहा है। कुछ लोग इसके राजनीतिक मंतव्य भी निकालते हैं।
डेरा सच्चा सौदा के लाखों अनुयायी देश भर में हैं, और राजस्थान के कुछ जिलों और हरियाणा के पंजाब और राजस्थान से लगते इलाकों में तो सघनता से बसे हुए हैं। डेरा सच्चा सौदा के देश भर में अनेक आश्रम हैं और इनसे जुड़े अनुयायी भी काफी संख्या में हैं। इस प्रकार उसके लाखों अनुयायी अच्छा-खासा वोट बैंक हैं। वैसे, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के मामले में ही ऐसा नहीं है। जितने भी डेरे-आश्रम हैं, सबके सब वोट की राजनीति के चलते राजनेताओं को प्रिय हैं।
हरियाणा में अगले कुछ महीनों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए ऐन चुनाव से पूर्व उसे ‘फरलो’ दिए जाने से कोई चौंका तो नहीं लेकिन दुख जरूर हुआ कि राजनीतिक नफे-नुकसान के चलते अपराधियों के प्रति इद कदर उदारता बरती जाती है। यह कानून व्यवस्था का मजाक उड़ाने जैसा है।
ऐसा नहीं है कि ‘फरलो’ को विवेकशील लोग अनदेखा किए हुए हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने तो बाकायदा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में उसको ‘फरलो’ दिए जाने के खिलाफ याचिका भी डाल दी थी। लेकिन इसका निपटारा किए जाने के कुछ दिन बाद ही ‘फरलो’ दिए जाने से पता चलता है कि वोट बैंक के तकाजे व्यवस्था पर भी भारी पड़ जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट को इसका संज्ञान लेना चाहिए।
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