गैंगरेप और नग्न वीडियो बनाने का मामला : सख्त कार्रवाई जरूरी
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आईआईटी की छात्रा के साथ कथित तौर पर हुए सामूहिक दुष्कर्म और नग्न वीडियो बनाने वाले तीन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
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वाराणसी की अदालत ने तीनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। बताया जा रहा है कि तीनों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है। सवाल तो यह भी है कि अगर वे घर पर ही थे तो घटना के करीबन दो माह बाद पुलिस की गिरफ्त में कैसे आए। इन्हें भाजपा की आईटी सेल से जुड़ा बताया जा रहा है।
तीनों अभियुक्तों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिनमें वे अलग-अलग भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ नजर आ रहे हैं। भाजपा ने औपचारिक तौर पर इस पर कुछ नहीं कहा, परंतु कुछ दल के कुछ नेताओं ने अनौपचारिक बातचीत में इनके संबंधों को स्वीकारा है।
दर्ज एफआईआर के मुताबिक बीते साल पहली नवम्बर को मध्य रात बीएचयू में बीटेक की छात्रा अपने दोस्त के साथ कैम्पस में चहलकदमी कर रही थी; तभी तीनों अभियुक्तों ने इनके साथ मारपीट की, निर्वस्त्र करके वीडियो बनाया और अश्लीलता की। कैंपस में सुरक्षा की चूक को लेकर छात्रों ने दस दिन तक आंदोलन किया।
इस गिरफ्तारी के बाद पूरा विपक्ष आक्रामक हो गया। उसने प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के नारे नारी वंदन, एंटी रोमियो, बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ फुस्स साबित होने के आरोप लगाए। यह सच है कि सरकारी दावों, मंचों से महिलाओं की सुरक्षा पर की जाने वाली बड़ी-बड़ी बातों और सख्त कानूनों के बावजूद बलात्कारों में कमी नहीं रही है।
उस पर सरकारें लगातार इन घटनाओं पर लीपापोती करती फिरती हैं। सालों-साल बड़े-बड़े विज्ञापनों और सरकारी तंत्र द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के स्लोगनों को दोहराने की रस्म आदायगी भर होती रहती है। किसी भी छात्रावास या शिक्षण संस्थान की चौहद्दी के भीतर ऐसी घटना होना, प्रबंधन के लिए शर्मनाक है।
संबंधित थाने और चौकी पर तात्कालिक एक्शन लेने वाली सरकार ने बीएचयू अधिकारियों को हरी झंडी क्या सोच कर दी। अपराधियों का कोई धर्म, ईमान या विचारधारा नहीं होती मगर प्रदेश सरकार को इस मामले में चुप्पी साधने की बजाए सख्ती बरतनी चाहिए। साथ ही शिक्षण संस्थानों को छात्राओं की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहने के आदेश भी देने चाहिए।
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