निलंबन नहीं जवाब

Last Updated 20 Dec 2023 01:35:54 PM IST

सांसदों के निलंबन का सिलसिला जारी है। अब तक लोक सभा और राज्य सभा मिला कर कुल 141 सांसद निलंबित किए जा चुके हैं। यह सूची आगे भी बढ़ सकती है। इसलिए कि न तो सरकार अपनी तरफ से बयान दे कर विपक्ष की मांग पूरी करने जा रही है, और न विपक्ष इसके बगैर ‘अनुशासित’ होने को तैयार है।


निलंबन नहीं जवाब

बात इतनी सी है कि विपक्ष 13 दिसम्बर को संसद हमले की बरसी पर फिर से इतिहास दोहराए जाने की मॉक कवायद पर सरकार से स्पष्टीकरण मांग रहा है। देखा जाए तो तनातनी संसद का स्थायी फेनोमेना बन गई है। सरकार, जो प्रचंड बहुमत में है और विधानसभाओं में भी जिसकी लहर चल रही है, की ‘संसद में संवाद को लेकर बहुत कम चिंता दिखाई’ देती है। इसे विपक्ष सरकार का ‘अराजक आचरण’ कहता है।

जिस तरह 13 दिसम्बर की घटना के बाद से सरकार लोक सभा स्पीकर के बयान को काफी बता कर खुद बयान न देने पर आमादा दिखती है, उससे तो यही लगता है कि वह देश के साथ-साथ संसद को ‘विपक्ष मुक्त’ करना चाहती है। इसलिए कि संसदीय इतिहास का यह सबसे बड़ा निलंबन है। संसद संवाद का साकार विग्रह होती है, जो सत्ता एवं प्रतिपक्ष के सहमेल से संभव होती है। पर बहुमत की जिम्मेदारी इसमें सबसे अधिक मानी गई है।

लेकिन जिस तरह से नियमित तौर पर क्रमिक निलंबन हो रहा है, उसमें इस जिम्मेदारी से पलायन ही दिखता है। यह तर्क सीमित मायने में ठीक हो सकता है कि लोक सभा अध्यक्ष ने जब कह दिया कि इसकी जांच की जा रही है तब विपक्ष को शांत हो जाना चाहिए। पर इससे सरकार की जवाबदेही समाप्त नहीं हो जाती है।

आखिर, विधायिका से कार्यपालिका से विच्छिन्न नहीं है। उसकी सुरक्षा भी सरकार से ही मिलती है। इस नाते अगर आंतरिक सुरक्षा के प्रभारी अमित शाह या फिर लोक सभा के नेता की हैसियत से नरेन्द्र मोदी ही दो लाइन का बयान दे देते तो संसद को इतनी निरंकुश होने की जरूरत नहीं होती।

विपक्ष की मांग उनकी स्वाभाविक जवाबदेही के दायरे में ही है। जवाब टालते जाने से सरकार की हठधर्मिता जाहिर होती है। पिछली बार भी विपक्ष को इसके लिए ऐसे प्रावधान के तहत नोटिस देना पड़ा था, जिसमें प्रधानमंत्री को जवाब देने पर बाध्य होना पड़ा था। ऐसी नौबत न आने देने के लिए सरकार से संवाद बनाए रखने की अपेक्षा की गई है। सरकार ने प्रयास किए भी हैं, फिर भी नतीजे मिलने तक यह जारी रहनी चाहिए थी। बहुमत सत्ता की गारंटी के साथ संवाद का भी दायित्व है।



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