कोरी भभकी है बेकार
बगैर मान्यता प्राप्त विदेशी विश्वविद्यालयों के सहयोग वाली डिग्री को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अमान्य कर दिया है।
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छात्रों को सतर्क रहने और इस तरह के पाठय़क्रमों में दाखिला ना लेने की सलाह दी है। आयोग ने चेतावनी दी कि कई उच्च शिक्षा संस्थानों व महाविद्यालयों ने विदेशों के ऐसे शिक्षण संस्थाओं से सहयोग संबधी समझौते किए हैं, जो मान्यता प्राप्त नहीं हैं। ये छात्रों को विदेशी डिग्री जारी करने की व्यवस्था कर रहे हैं।
ऐसी सहयोगात्मक व्यवस्था द्वारा जारी की गयी डिग्रियां आयोग से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। कुछ एडटेक कंपनियां विदेशी विश्वविद्यालयों व संस्थानों से मिलकर डिग्री व डिप्लोमा कार्यक्रम को लेकर समाचारपत्रों, सोशल मीडिया व टीवी के जरिए विज्ञापन देते हैं। चूंकि इस फ्रेंचाइजी व्यस्था की अनुमति नहीं है। मामले के दोषियों के खिलाफ लागू नियमों के तहत कार्रवाई भी की जाने की बात की जा रही है।
यह कोई पहली बार नहीं है, जब इस तरह की चेतावनी जारी की गई है। हैरत की बात है कि लगातार आयोग द्वारा इस तरह के शिक्षण संस्थानों के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बताए जाने के बावजूद छात्र इनमें प्रवेश लेते रहते हैं। सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा कई दफा ऐसे शिक्षण संस्थाओं की सूचियां भी जारी होती रहती हैं। जिन पर पाबंदी है या उनकी डिग्रियों को मान्यता प्राप्त ना होने की सूचना दी जाती है।
बावजूद इसके विदेशी या प्रचलित विश्वविद्यालय के सहयोगी होने का छद्म प्रचार करके ये छात्रों को लुभाने में लिप्त रहते हैं। आयोग की चेतावनी को गंभीरता से लिये जाने की जरूरत है। मगर इस हकीकत को झुठलाया नहीं जा सकता कि यह सरकार व शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे संस्थानों को तत्काल प्रतिबंिधत करते हुए, सख्ती से उनके प्रचार को रोके।
आम आदमी के लिए उनकी हकीकत के मालुमात जुटाना बेहत चुनौतीपूर्ण कार्य है। यह काम प्रदेश सरकारों के जिम्मे सुपुर्द करना होगा। शहरों व कस्बों के चौराहों व मुख्य सड़कों पर लगे विशाल होर्डिग्स पर चिपकी सफल छात्रों की तरस्वीरें चुग्गा फेंकने सरीखा काम करती हैं, जिनके पल्रोभन में आकर परिजन बगैर जांच-पड़ताल के प्रवेश दिलाने को उतावले हो जाते हैं। इसके लिए सभी संबंधित सरकारी विभागों को तत्काल प्रभाव से बगैर मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों से समाज को मुक्त करने का बीड़ा स्वयं उठाना होगा।
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