चुनौती और विकल्प

Last Updated 28 Oct 2023 01:34:58 PM IST

कतर से आई खबर स्तब्धकारी है। भारत के पूर्व आठ नौसैनिकों की कथित रूप से इस्राइल के लिए जासूसी मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है। ये लोग कतर की अल दहार कंपनी से जुड़े थे, जो इटली की मदद से पनडुब्बी बना रही थी।


चुनौती और विकल्प

हालांकि मामले से जुड़े पूरे तथ्य कतर की तरफ से नहीं रखे गए हैं, जो उसकी पारदर्शिता पर संदेह पैदा करते हैं। विदेश मंत्रालय इसलिए ‘हैरान’ रह गया है और वह तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार कर रहा है। भारत के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती आठों भारतीयों को फांसी के फंदे से बचाने की है। इसके लिए तीन विकल्प हैं। कानूनी, राजनयिक और अपने संपकरे को साधने का। भारत सरकार इस सजा के विरुद्ध ऊपरी अदालतों में अपील कर सकती है।

अगर मामले में उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं होता है या फिर उसकी अपील नहीं सुनी जाती है तो वह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जा सकती है। इसके अलावा, सरकार संयुक्त राष्ट्र का सहारा लेकर दया याचना कर सकती है। हालांकि यह लंबा रास्ता है पर बेअसर नहीं है। अव्वल तो यह होगा कि जासूसी के आरोप ही साबित न हों या उसमें भी पाकिस्तानी साजिश साबित हो जाए, इसकी आशंका अधिक है।

इसकी पहली वजह, जिसकी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति इशारा कर चुके हैं कि भारत-मध्य एशिया-यूरोप कॉरिडोर-निर्माण से बौखलाहट है। यही हमास के इस्राइल पर सात अक्टूबर के नृशंसतापूर्ण हमले की भी एक वजह है। इस पर भारत के विरोध जताने पर कतर भी तिलमिला गया है। भारत आतंकवाद विरोधी देश है-उसका हमास का विरोध इसी नीति पर है जबकि कतर आतंकवाद का वित्तपोषक देश है, जिसके चलते मिस्र, बहरीन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने उसको अलग-थलग कर दिया था।

इस वजह से साल 2017 में कतर गंभीर खाद्य संकट से गुजर रहा था, तब भारत ने आपूर्ति में मदद की थी।  इसके बावजूद कतर के साथ भारत के रिश्ते अच्छे हैं। उसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सम्मान किया था और मुक्त व्यापार के लिए वह भारत से समझौता चाहता है। तो इस तरह सरकार अपने अच्छे राजनयिक संबंधों का लाभ उठा सकती है। इसके जरिए दबाव बनाया जा सकता है। अपने मित्र अरब देशों का भी उपयोग भारत इस काम में कर सकता है, करेगा भी। बहुत संभावना है कि भारत अपने नए वैिक कद से ही इस मामले में सफल हो जाएगा।



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