अर्थव्यवस्था में मजबूती
भारत मजबूत घरेलू बुनियादी स्थिति और मुद्रास्फीति में नरमी की उम्मीद के बीच चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
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हालांकि वित्त मंत्रालय की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फारस की खाड़ी में हालिया घटनाक्रम से वैिक अनिश्चिताएं बढ़ गई हैं, और इससे कच्चे तेल के दाम में उछाल आ सकता है।
न केवल इतना, बल्कि अमेरिका में सख्त मौद्रिक नीति (रिपोर्ट में मौद्रिक नीति को और सख्त करार देने से इनकार नहीं किया गया है) और अमेरिकी प्रतिभूतियों की आपूर्ति बहुत अधिक रहने की वजह से वित्तीय स्थिति के ‘तंग’ रह सकती है, लेकिन इन सबके बावजूद वित्त मंत्रालय की मासिक समीक्षा के आधार पर जारी रिपोर्ट आस्त करती है कि अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट का जोखिम अधिक होने की आशंका से दुनिया के अन्य बाजारों पर इसके असर के अंदेशे के बावजूद भारत का व्यापक आर्थिक दृष्टिकोट उज्जवल है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान भी मजबूत अर्थव्यवस्था की तरफ इंगित करते हैं। मुद्रा कोष के अनुमान के मुताबिक, भारत 2023-24 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। ऐसे में भारत के लिए बाह्य कारकों से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। खासकर इसलिए तो और भी कि हमारी मजबूती घरेलू कारकों पर आधारित है। निजी खपत में स्थिति सुखद है, और कोरोना महामारी के बाद निजी खपत ने ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में खासी मदद की थी।
निवेश मांग भी मजबूत है, और यह सूचक है कि अर्थतंत्र को लेकर सकारात्मक धारणा है, जिसका अर्थव्यवस्था के अन्य अंगों में परिलक्षित होना लाजिम है। न केवल इतना, बल्कि देश में औद्योगिक क्षमता के अधिकतम इस्तेमाल के हालात हैं, और संपत्ति बाजार में भी अच्छी स्थिति है। कृषि क्षेत्र में स्थितियां उत्साहजनक हैं।
रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि की गई है कि देश में जलाशयों के स्तर सुधार में हाल के समय में सुधार हुआ है, जिससे आगामी रबी सत्र में कृषि पैदावार अच्छी हो सकती है। महंगाई के मोर्चे पर भारत के लिए अच्छी खबर है। मुद्रास्फीति लगातार घट रही है और हाल के दिनों में खाद्य मुद्रास्फीति कम हुई है। तो कहना यह कि भारतीय अर्थव्यवस्था निरंतर मजबूती का रुख किए हुए है।
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