दिल्ली में नहीं चलेंगे पटाखे

Last Updated 13 Sep 2023 01:17:30 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिवाली (Diwali) से पहले पटाखों की बिक्री, निर्माण और या भंडारण के लिए लाइसेंस देने के खिलाफ दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को निर्देश जारी किया है।


दिल्ली में नहीं चलेंगे पटाखे

डीपीसीसी से कहा है कि इस बाबत जरूरी कदम उठाए। मकसद दिवाली के साथ सर्दियों में प्रदूषण का स्तर कम करना है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय (Gopal Rai) के मुताबिक, पिछले पांच-छह वर्ष में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में काफी सुधार देखा गया है कि लेकिन इसमें और सुधार करना है तो इस प्रकार के सख्त कदम उठाने होंगे। हालांकि दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि  केजरीवाल सरकार इस बार भी दिवाली को फीका बनाना चाहती है।

उसका यह भी कहना है कि यह पर्व साल में एक बार आता है, जिसके साथ करोड़ों हिंदुओं की आस्था जुड़ी है। इस निर्णय को एकतरफा करार देते हुए कहा कि कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं है, जिससे पता चलता हो कि प्रदूषण केवल पटाखों से बढ़ता है। कमजोर सार्वजनिक परिवहन भी प्रदूषण बढ़ाने की प्रमुख वजह है। इस कारण लोग निजी वाहन सड़क पर निकालने को विवश होते हैं, जो प्रदूषण का बड़ा कारण बनता है।

गौरतलब है कि बीते साल भी दिल्ली सरकार ने घोषणा की थी कि दिवाली पर पटाखे जलाने पर छह महीने की जेल होगी और दो सौ रुपये का जुर्माना लगेगा। पटाखों का उत्पादन, भंडारण और बिक्री करने वालों के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम की धारा 9बी के तहत कार्रवाई करते हुए पांच हजार रुपये तक जुर्माने और तीन साल की जेल की बात कही थी। पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने की गरज से किया गया हर फैसला स्वागतयोग्य है। लेकिन देखा जाता है कि इस प्रकार के निर्देश या फरमान बेमानी साबित होते हैं।

निर्देश या फरमान जारी कर देने भर से बात नहीं बनती। चीनी मांजे से पतंग उड़ाने पर सख्ती संबंधी निर्देश के मामले में भी हम देख चुके हैं कि लोगों ने जमकर इसकी धज्जियां उड़ाई। दिल्ली के यमुनापार इलाके में तो यहां तक देखा गया कि बेखौफ लोगों ने जमकर चीनी मांजे से पतंग उड़ाई और अनेक लोग बुरी तरह घायल हो गए। दरअसल, पटाखे चलाने और बिक्री संबंधी मामले में देखने में आता है कि लोग बेपरवाही से निर्देशों की अवहेलना करते हैं। पटाखों की कालाबाजारी होती है, और लोग महंगे पटाखे खरीदने से भी पीछे नहीं हटते। दरअसल, जरूरी यह है कि जनजागरूकता से इस समस्या से निपटा जाए।



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