छवि बिगाड़ने की सुपारी

Last Updated 03 Apr 2023 08:19:37 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोगों ने उन्हें मारने के लिए भांति-भांति लोगों को सुपारी दे रखी है, लेकिन भारत के गरीब, मध्यम वर्ग, आदिवासी, दलित, ओबीसी समेत हर भारतीय आज मोदी का सुरक्षा कवच बना हुआ है।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)

उन्होंने कहा कि 2014 में इन लोगों ने मोदी की छवि मलिन करने का संकल्प लिया और अब इन लोगों ने संकल्प ले लिया है-‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’। प्रधानमंत्री मोदी ने भोपाल में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन और हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन (नई दिल्ली) के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने के वहां बाद मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इन लोगों ने खुद तो मोर्चा संभाला ही हुआ है, साथ ही देश के भीतर और देश के बाहर बैठे कुछ लोगों को भी साथ ले रखा है।

दरअसल, लोकतांत्रिक व्यवस्था में आलोचना या असहमति के लिए पूरी गुंजाइश होती है, और यह कोई बुराई नहीं है, लेकिन विरोध करने के लिए ही विरोध किया जाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। आज के समय आलोचना या असहमति को कटुता में तब्दील होते तनिक देर नहीं लगती। मुद्दाविहीन हो चुका राजनीतिक परिदृश्य उभर आने से यह स्थिति बनी है। हाल के वर्षो में व्यक्तिगत आलोचना, बल्कि कहें कि व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप का चलन ज्यादा बढ़ा है, मुद्दों और कार्यक्रमों की आलोचना या विरोध हो तो समझ आता है, लेकिन लिबास, शिक्षा या समृद्धि को लेकर कुछ भी कहा जाने लगा है।

लगता है कि न तो आलोचना को बर्दाश्त किया जा रहा है, और न ही जनोन्मुखी कार्यक्रमों और सफलताओं को सराहा जा रहा है। एक समय विपक्ष के बड़े चेहरे अटलबिहारी वाजपेयी ने बांग्लोदश बनने और युद्ध के मैदान में भारत की शानदार जीत पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दुर्गा का रूप कहा था। तो यह थी सत्तारूढ़ की उपलब्धियों की सराहना करने की भावना जो आज सिरे से नदारद है। इससे पता चलता है कि भारत में लोकतंत्र अभी भी परिपक्व नहीं हुआ है।

वरना पक्ष-विपक्ष एक दूसरे की कमियों और खामियों की आलोचना करने के फेर में रहने की बजाय अच्छे कामों की सराहना करने से भी पीछे नहीं हटते। बेशक, विपक्ष आलोचना करने के अपने दायित्व का निवर्हन करे, लेकिन जहां सत्ताधारी पार्टी और शीर्ष नेतृत्व के अच्छे काम हों तो उनकी भी मुक्तकंठ से प्रशंसा होनी चाहिए। यही परिपक्व लोकतंत्र का तकाजा है।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment