अडाणी पर समिति
अमेरिका की वित्तीय शोध कंपनी और शॉर्ट सेलर ¨हडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में हाल में आई भारी गिरावट की जांच के लिए आखिर शीर्ष अदालत ने बड़ा कदम उठाते हुए विशेषज्ञों की समिति के गठन का आदेश दे दिया।
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हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडाणी समूह पर शेयरों के भाव चढ़ाने में हेराफेरी का आरोप लगाया गया है। पूर्व न्यायाधीश एएमसप्रे समिति की अगुवाई करेंगे जो दो माह में अपनी रिपोर्ट देगी। ¨हडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह की कंपनियों का बाजार मूल्यांकन 140 अरब डॉलर से अधिक घट चुका है।
शीर्ष न्यायालय ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को भी निर्देश दिया है कि वह इस मामले में अपनी जांच को दो माह में पूरा करे और स्थिति रिपोर्ट सौंपे। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और दो अन्य न्यायाधीशों की पीठ ने कहा है कि समिति पूरी स्थिति का आकलन करके निवेशकों को जागरूक करने और शेयर बाजारों की नियामकीय व्यवस्था की मजबूती के उपाय सुझाएगी।
पीठ ने केंद्र सरकार, वित्तीय सांविधिक निकायों, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन को निर्देश दिया है कि समिति को जांच में पूरा सहयोग दें। समिति देखेगी कि क्या अडाणी समूह या अन्य कंपनियों के मामले में प्रतिभूति बाजार के संदर्भ में कोई नियामकीय चूक तो नहीं हुई है। पीठ ने कहा कि बाजार नियामक सेबी ने खुलकर प्रतिभूति अनुबंध (नियमन) नियम, 1957 के कथित उल्लंघन का जिक्र नहीं किया है। पीठ ने समिति से बाजार नियमनों, शॉर्ट सेलिंग नियमनों या शेयर कीमतों में गड़बड़ी की जांच करने को भी कहा है।
समिति का गठन केंद्र सरकार के लिए सख्त संदेश है। शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी को विशेषज्ञों की प्रस्तावित समिति पर सीलबंद लिफाफे में केंद्र के सुझावों को लेने से इनकार कर दिया था। विपक्ष समिति के गठन से संतुष्ट नहीं है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के सामने आने के बाद से ही प्रधानमंत्री पर हमलावर कांग्रेस का कहना है कि इस समिति की जांच से सिर्फ सेबी के नियमों का उल्लंघन होने या न होने के बारे में पता चलेगा, लेकिन इस पूरे प्रकरण को लेकर संसद में जो सवाल उठाए गए हैं उनके जवाब सिर्फ संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच से ही मिल सकते हैं।
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