निजता सर्वोपरि
सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म वाट्सअप की नई प्राइवेसी पॉलिसी से लोगों की निजता के हनन की आशंकाओं के प्रति गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए स्पष्ट किया है कि भारतीयों की निजता की रक्षा करना हमारा परम दायित्व है।
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अदालत ने इस मामले में वाट्सअप और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके चार सप्ताह के भीतर उनका जवाब मांगा है। वाट्सअप को कड़ा संदेश देते हुए अदालत ने कहा है कि आप दो-तीन लाख करोड़ रुपये की कंपनी होंगे लेकिन लोगों की निजता उससे कहीं ज्यादा कीमती है।
लोगों को लग रहा है कि उनकी चैट (संवाद) और डाटा को किसी और के साथ शेयर किया जा सकता है जबकि केंद्र सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि ऐप किसी का डाटा किसी और के साथ शेयर नहीं कर सकते। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में आरोप लगाए गए हैं कि वाट्सअप ने यूरोप की तुलना में भारतीयों के लिए प्राइवेसी के मानक कमतर रखे हैं। इससे भारतीयों को यूरोपीय लोगों की तुलना में कम अधिकार मिले हैं। मांग की गई कि वाट्सअप को भारतीयों के डाटा शेयर करने से रोका जाए।
कर्मन्य सिंह सरीन ने 2017 से लंबित अपनी याचिका में नई अर्जी दाखिल करके मांग की है कि वाट्सअप की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर रोक लगाई जाए। गौरतलब है कि पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया था कि इसमें निजता के अधिकार और निजी स्वतंत्रता के मुद्दे शामिल हैं। लेकिन वाट्सअप के रवैये को देखते हुए सरीन ने अंतरिम याचिका दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट से राहत दिए जाने की अपील की है। वाट्सअप की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यूरोप में विशेष कानून हैं।
यदि संसद ऐसा ही कानून बनाए तो हम पालन करेंगे। फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों में जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेग्यूलेशन सबसे मजबूत कानून है। उसमें स्पष्ट परिभाषित है कि कौन-सा डाटा किस स्थिति में शेयर किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि लोगों के संशय का निवारण जरूरी है। यदि उन्हें लगता है कि उनके डाटा या संवाद को साझा किया जा रहा है, तो इसे देखा जाना चाहिए। दरअसल, अभी तक भारत में वाट्सअप, फेसबुक की डाटा शेयरिंग को लेकर अभी तक स्पष्ट नहीं है। जरूरी है कि उन्हें इस बाबत नीति बनाने को ताकीद की जाए।
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