ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला दीपा कर्माकर ने संन्यास की घोषणा की

Last Updated 08 Oct 2024 07:43:59 AM IST

ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट बनकर इतिहास रचने वाली दिग्गज खिलाड़ी दीपा कर्माकर ने सोमवार को संन्यास लेने की घोषणा की।


जिम्नास्ट दीपा कर्माकर ने संन्यास की घोषणा की

रियो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहकर मामूली अंतर से चूकने वाली दीपा का कॅरियर इस तरह समाप्त हो गया जिसमें वह नियमित रूप से अत्यधिक कठिन प्रोडुनोवा वॉल्ट करके लोगों को प्रभावित करती थीं।

त्रिपुरा की 31 वर्षीय इस छोटी कद की खिलाड़ी ने 2016 रियो खेलों के वॉल्ट फाइनल में चौथे स्थान पर रहकर सुर्खियां बटोरी थीं जहां उन्होंने वह सिर्फ 0.15 अंक से ओलंपिक पदक से चूक गई थी। दीपा ने बयान में कहा, ‘बहुत सोच-विचार और चिंतन के बाद मैंने प्रतिस्पर्धी जिम्नास्टिक से संन्यास लेने का फैसला किया है।

यह आसान फैसला नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि यह सही समय है।’ उन्होंने कहा, ‘जब से मुझे याद है तब से जिम्नास्टिक मेरे जीवन का केंद्र रहा है और मैं उतार-चढाव और बीच के हर लम्हे के लिए आभारी हूं।’

दीपा ने कहा कि वह अपने जीवन में किसी समय कोच बनकर खेल को कुछ वापस देने की उम्मीद करती हैं या फिर वह ‘अपने सपनों का पीछा करने वाले जिम्नास्टों की अगली पीढी की समर्थक’ बनी रह सकती हैं।

अगरतला की रहने वाली दीपा जिम्नास्टिक के इतिहास की केवल पांच महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने प्रोडुनोवा को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है जिसमें जमीन पर उतरने से पहले दो बार ‘समरसॉल्ट’ करना होता है और इसे ‘वॉल्ट ऑफ डेथ’ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें चोट लगने का जोखिम बहुत अधिक होता है।

उन्होंने कहा, ‘जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे अपनी हर उपलब्धि पर गर्व महसूस होता है। विश्व मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना, पदक जीतना और सबसे यादगार, रियो ओलंपिक में प्रोडुनोवा वॉल्ट करना, इसे हमेशा मेरे कॅरियर के शिखर के रूप में याद किया जाएगा।’

दीपा ने कहा, ‘ये पल सिर्फ मेरे लिए जीत नहीं थे। ये भारत की हर उस युवा लड़की की जीत थी जिसने सपने देखने की हिम्मत की जिसने माना कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ भी संभव है।’

भाषा
नई दिल्ली


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